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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से लेकर जो बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने और शीर्ष सरकारी पदों पर नई नियुक्तियां किए जाने तक कई काम ऐसे हुए हैं, जो पहले कभी नहीं हुए।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से लेकर जो बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने और शीर्ष सरकारी पदों पर नई नियुक्तियां किए जाने तक कई काम ऐसे हुए हैं, जो पहले कभी नहीं हुए। अमेरिका में सरकारें बदलने पर अकसर मंत्रालयों में पुराने चेहरे नजर नहीं आते, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। सीनेट में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के 50-50 सदस्य होने पर किसी को सामान्य मतदान में 49 के मुकाबले 51 मत मिलें हैं, यह भी पहली बार हुआ है। वहीं इस शक्तिशाली देश के न्याय मंत्रालय में पहली बार किसी अश्वेत महिला तीसरे सबसे बड़े पद पर नियुक्ति किया गया है। अमेरिकी न्याय मंत्रालय के तीसरे शीर्ष पद सहायक अटार्नी जनरल के लिए भारतीय मूल की वनीता गुप्ता को चुना गया है।
अपने तालों और तालीम के लिए दुनियाभर में मशहूर उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ शहर अब वनीता गुप्ता से जुड़े होने की वजह से एक बार फिर सुर्खियों में है। वनीता के पिता राजीव लोचन तकरीबन चार दशक पहले अलीगढ़ से अमेरिका चले गए थे। वनीता का जन्म 15 नवंबर 1974 को फिलाडेल्फिया, पेंसिलवेनिया में हुआ और वहीं उनकी परवरिश भी हुई। उन्होंने येल विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री ली और न्यूयार्क विश्वविद्यालय से ज्यूरिस डाक्टर के तौर पर पढ़ाई की।
28 साल की उम्र में की थी करियर की शुरुआत
वनीता ने 28 साल की उम्र में पढ़ाई पूरी करने के बाद न्यूयार्क स्थित एक नागरिक अधिकार संगठन और लॉ फर्म एलडीएफ के साथ वकालत के अपने करियर की शुरुआत की और टेक्सास में अश्वेत अमेरिकी नागरिकों से जुड़े नशीली दवाओं के एक मामले की पैरवी करते हुए अपने मुवक्किलों को दोषमुक्त करवाने में कामयाब रहीं। उन्होंने 2007 में अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन का स्टाफ अटार्नी बनने के बाद शरण मांगने वालों को हिरासत में रखे जाने को लेकर देश के आप्रवासन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के खिलाफ एक मामला दर्ज किया और इसमें जीत हासिल कर नागरिक अधिकारों के एक मुखर समर्थक के रूप में अपना कद ऊंचा कर लिया।
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