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सिर्फ 18 से ज्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन दी जा रही है.
वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने 10 जून को अमेरिका में बच्चों को वैक्सीन की मंजूरी के लिए आवेदन किया है. कंपनी ने 12-17 साल के बच्चों को वैक्सीन दिए जाने की अप्रूवल की मांग की है. अमेरिका में अब स्कूल सीजन शुरू होने वाला है और वहां की सरकार, लोग चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा किशोर आबादी को वैक्सीन प्रोटेक्शन दिया जाए.
फाइजर के बाद मॉडर्ना दूसरी वैक्सीन कंपनी है जिसने बच्चों को वैक्सीन दिए जाने की मंजूरी के लिए आवेदन किया है.
बच्चों पर खतरा अब भी बरकरार
बच्चों को वैक्सीन देने का उद्देश्य ये है कि उनमें ज्यादा से ज्यादा हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो. ऐसा देखा गया है कि बच्चों में ज्यादातर सिर्फ माइल्ड या फिर कोई कोरोना लक्षण देखने को नहीं मिले हैं. लेकिन युवा आबादी के अभी भी गंभीर रूप से बीमार पड़ने का खतरा बरकरार है. ये वायरस फैलाने के लिए कैरियर का काम कर सकते हैं.
EU और कनाडा में भी मॉडर्ना ने दिया आवेदन
मॉडर्ना वैक्सीन का इस्तेमाल अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, कनाडा में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए पहले से ही हो रहा है. वैक्सीन निर्माता का कहना है कि उन्होंने यूरोपियन यूनियन और कनाडा रेगुलेटर के पास भी बच्चों को वैक्सीन मंजूरी के लिए आवेदन किया है.
भारत में अब तक बच्चों के लिए किसी वैक्सीन को मंजूरी नहीं
भारत में अब तक सिर्फ तीन कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. सबसे पहले भारत ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड को मंजूरी दी थी. इसके बाद भारत ने रूसी वैक्सीन स्पूतनिको मंजूरी दी थी. अब तक भारत में बच्चों के लिए किसी भी वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी गई है. सिर्फ 18 से ज्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन दी जा रही है.
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