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उस्ताद गुलफाम अहमद की बेटी और उनके ससुराल वाले काबुल में फंसे, भारत लाने की कोशिश जारी

Admin4
19 Aug 2021 4:25 PM GMT
उस्ताद गुलफाम अहमद की बेटी और उनके ससुराल वाले काबुल में फंसे, भारत लाने की कोशिश जारी
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ऐसा ही एक परिवार पद्मश्री से सम्मानित सरोद और रबाब वादक उस्ताद गुलफाम अहमद का है. उस्ताद गुलफाम अहमद की बेटी का ससुराल अफगानिस्तान में है और फिलहाल वो काबुल में फंसे हुए हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- Taliban : तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अब वहां से हजारों लाखों की संख्या में लोग निकलने की कोशिश कर रहे हैं. जो लोग अभी भी फंसे हुए हैं उन लोगों में हजारों की संख्या में वह भारतीय भी हैं जो भारत आने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं ऐसे लोगों के परिवार वाले लगातार सामने आ रही जानकारी और तस्वीरों को देखकर परेशान और खौफजदा हैं. वह भी इसी कोशिश में हैं कि जल्द से जल्द उनके परिवार के लोग अफगानिस्तान से निकलकर भारत पहुंच जाए.

ऐसा ही एक परिवार पद्मश्री से सम्मानित सरोद और रबाब वादक उस्ताद गुलफाम अहमद का है. उस्ताद गुलफाम अहमद की बेटी का ससुराल अफगानिस्तान में है और फिलहाल वो काबुल में फंसे हुए हैं. उस्ताद गुलफाम अहमद की मानें तो अब वह भी सरकार और एंबेसी से संपर्क कर अपनी बेटी और उसके ससुराल वालों को भारत लाने की कोशिश में लगे हुए हैं.
अफगानिस्तान से निकलने की कोशिश
उस्ताद गुलफाम अहमद को इसी साल पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. उस्ताद गुलफाम अहमद की बेटी और उनके ससुराल वाले अफगानिस्तान से निकलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन फिलहाल अभी तक उसमें सफलता नहीं मिली है. उस्ताद गुलफाम अहमद का कहना है कि तालिबान के अफगानिस्तान में इस कदर सक्रिय होने और कब्जा करने की जैसे-जैसे तस्वीरें और जानकारी सामने आ रही है, उससे पूरा परिवार परेशान हो जाता है. हालांकि अभी उनकी बेटी और उनके ससुराल वाले फिलहाल सुरक्षित हैं लेकिन इस तालिबान का भरोसा नहीं किया जा सकता.
उस्ताद गुलफाम अहमद का कहना है कि तालिबान के आने की आहट कुछ महीनों पहले से ही सुनाई देने लगी थी. इसी वजह से इनकी बेटी के ससुराल वालों ने पहले से ही अगले सात आठ महीनों के खाने का इंतजाम घर पर ही कर लिया था. आज की तारीख में हालात बेहद खराब है क्योंकि कुछ नहीं पता कि तालिबान कब क्या करे. वहीं उस्ताद गुलफाम अहमद खुद भी अफगानिस्तान में साल 2009 से लेकर 2014 तक रह चुके हैं. हालांकि उस दौरान तालिबान इस कदर सक्रिय नहीं था.
हालांकि आज जब तालिबान के सक्रिय होने और कब्जा करने की खबरें सामने आ रही है तो उस्ताद गुलफाम अहमद को साल 2009 से 2014 के बीच बिताए गए उस वक्त की भी याद आ रही है, जब आज की तरह सक्रिय ना होने के बावजूद तालिबान का खौफ लोगों के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ था. फिलहाल उस्ताद गुलफाम अहमद खान और उनका पूरा परिवार दिन-रात यही दुआ कर रहा है कि जल्द से जल्द उनकी बेटी और उसके ससुराल वाले भारत की सरजमीं पर वापस पहुंच जाए.


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