अमेरिका अपने ऊर्जा आयात में विविधता लाने में भारत की मदद करने के लिए तैयार है। व्हाइट हाउस ने यह कहते हुए अपनी इच्छा दोहराई कि यूक्रेन पर हमला करने पर रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच नई दिल्ली अब मॉस्को से तेल न खरीदे।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, हमें नहीं लगता कि भारत को रूस से ऊर्जा तथा अन्य सामान का आयात बढ़ाना या तेज करना चाहिए। हालांकि, जाहिर तौर पर ये फैसले देश अपने हिसाब से लेते हैं।
उन्होंने कहा, अमेरिका यह भी स्पष्ट कर रहा है कि हम भारत का उसके आयात में विविधता लाने के किसी भी प्रयास में मदद और एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के तौर पर सेवा करने के लिए तैयार हैं क्योंकि वे रूस से केवल एक या दो प्रतिशत तेल ही आयात कर रहे हैं।
साकी ने कहा, हमारे पास चर्चा के कई तरीके हैं और गत सप्ताह उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह को नई दिल्ली भेजना इसका एक उदाहरण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रतिबंधों के उल्लंघन का क्या नतीजा होगा।
भारत में राजदूत की नियुक्ति प्राथमिकता
व्हाइट हाउस प्रेस सचिव ने माना कि निश्चित तौर पर हमारी प्राथमिकता भारत में एक राजदूत की नियुक्ति है। भारत में अमेरिका के राजदूत के तौर पर लॉस एंजिलिस के मेयर एरिक गार्सेटी का नामांकन अमेरिकी सीनेट में लंबित है क्योंकि उनके नाम की पुष्टि के लिए पर्याप्त मत नहीं मिले हैं। साकी ने कहा, यह अत्यधिक महत्वपूर्ण राजनयिक पद है। हम देशों से कई अन्य माध्यमों से भी बातचीत करते हैं।
अज्ञात क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं भारत-अमेरिकी रिश्ते : कर्टिस
वाशिंगटन। ट्रंप प्रशासन की पूर्व शीर्ष अफसर लिजा कर्टिस ने कहा है कि यूक्रेन पर रूसी हमले पर भारतीय रुख के चलते भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय रिश्ते एक अज्ञात क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। लिसा अपने चार साल के कार्यकाल में भारत के लिए ट्रंप प्रशासन की धुरी थीं और अब अमेरिकी सुरक्षा थिंकटैंक के लिए हिंद-प्रशांत सुरक्षा कार्यक्रम की वरिष्ठ साथी व निदेशक हैं। उन्होंने चेताया, भारतीय रुख में सुधार के अभाव में दोनों देशों के लिए रक्षा और सुरक्षा का विस्तार कठिन हो जाएगा। हालांकि उन्होंने माना कि भारत रूसी सैन्य उपकरणों पर अपनी निर्भरता रातोंरात नहीं बदल सकता है।