वाशिंगटन। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से उत्तर कोरिया के गैर-कानूनी बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों की निंदा करने का आग्रह किया है, लेकिन चीन और रूस ने कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया को लक्षित कर सैन्य अभ्यासों में तेजी लाकर तनाव बढ़ा रहा है। अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सोमवार को हुई आपात बैठक में परिषद से कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के प्रस्तावों का पालन करने और सार्थक बातचीत में शामिल होने का आग्रह करते हुए एक अध्यक्षीय बयान जारी करने का प्रस्ताव रखेगा।
थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि परिषद के सभी 15 सदस्यों को उत्तर कोरिया के अभूतपूर्व मिसाइल परीक्षणों की निंदा करनी चाहिए। सुरक्षा परिषद के किसी अध्यक्षीय बयान को सभी सदस्यों की सहमति हासिल होनी चाहिए, जबकि सुरक्षा परिषद में उत्तर कोरिया के करीबी सहयोगी चीन और रूस भी शामिल हैं। थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शनिवार को अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण और फिर सोमवार को छोटी दूरी की दो बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण के लिए अमेरिका उत्तर कोरिया की कड़े शब्दों में निंदा करता है।
यह परिषद की ओर से उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों पर लागू प्रतिबंध का घोर उल्लंघन है। अमेरिकी राजदूत ने कहा कि परीक्षण और उत्तर कोरिया की धमकी भरी बयानबाजी अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को कमजोर कर रही है। हालांकि, उत्तर कोरिया के करीबी देशों चीन और रूस ने पलटवार करते हुए कहा कि इस समय उत्तर कोरिया और बाइडेन प्रशासन के बीच संवाद कायम करने, सैन्य अभ्यासों को कम करने, उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने और कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नवंबर 2021 में उनके द्वारा पेश प्रस्ताव को मंजूरी देने की जरूरत है।संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप राजदूत डाई बिंग ने कहा कि अमेरिका-दक्षिण कोरिया के व्यापक संयुक्त सैन्य अभ्यासों, अमेरिका के सामरिक उपकरणों की तैनाती, दो सप्ताह पहले हुई नाटो महासचिव जेंस स्टॉलटेनबर्ग की चर्चित दक्षिण कोरिया और जापान यात्रा उत्तर कोरिया के लिए अत्यंत भड़काने वाली हैं और इन सभी से असुरक्षा की भावना को बढ़ावा मिला है। रूस के उप-राजदूत दिमित्री पोलयांस्की ने परिषद से कहा कि उत्तर कोरिया मिसाइल परीक्षणों के जरिए अमेरिका के नेतृत्व में हो रहे अभूतपूर्व सैन्य युद्धाभ्यासों का जवाब दे रहा है, जो स्पष्ट रूप से उत्तर कोरिया को निशाना बनाकर किए जा रहे हैं।