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इन शिविरों में लोगों को शिक्षित किया जाता है.
अमेरिका के जो बाइडेन (Joe Biden) प्रशासन ने अमेरिकी विदेश नीति में प्राथमिक ध्यान मानवाधिकारों की बहाली पर दिया है. इस लक्ष्य पर आगे बढ़ते हुए अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के दमन के लिए चीन और कई अन्य देशों पर बुधवार को निशाना साधा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अब चीन से अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार करने और उन्हें हिरासत में लेने जैसी रिपोर्ट्स आती हैं (Religious Freedom Report). यह निंदा उसी तरह की है जो ट्रंप प्रशासन ने भी की थी, जिसकी आलोचना अन्य अधिकारों से ज्यादा तवज्जो धार्मिक स्वतंत्रता को देने के लिए की जाती थी.
यह कदम अमेरिकी स्थिति की फिर से पुष्टि करता है कि मुस्लिमों पर और पश्चिमी शिंजियांग में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर चीन की कार्रवाई 'नरसंहार' के दायरे में आती है. हालांकि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता, प्रशासन के व्यापक मानवाधिकार रणनीति का महज एक तत्व है. विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन (Antony Blinken) ने मंत्रालय की वार्षिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट का हवाला देकर चीन पर निशाना साधा है.
चीनी अधिकारी पर लगाया प्रतिबंध
ब्लिंकेन ने नागरिकों को स्वतंत्र रूप से प्रार्थना करने की अनुमति ना देने के लिए चीन की निंदा की. इसके अलावा उन्होंने पूर्व वरिष्ठ चीनी अधिकारी पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया है, जिन पर अमेरिका ने फालुन गोंग धार्मिक पंथ के सदस्यों का दमन करने का आरोप लगाया है (US on China). अमेरिका इससे पहले भी कई बार चीन पर नरसंहार करने जैसे आरोप लगा चुका है. साथ ही ऐसी कई रिपोर्ट्स भी जारी हुई हैं.
चीन पर लगते हैं बड़े आरोप
चीन पर आरोप लगते हैं कि वह यहां जातीय सफाया कर रहा है और शिंजियांग (China Xinjiang) में रहने वाले लोगों पर अत्याचार करता है. चीन इन लोगों को यातना गृह में रखता है, जहां इनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है. इन लोगों का ब्रेन वॉश तक किया जाता है. इस तरह के यातना शिविरों में रह चुके लोगों ने चीन से भागने के बाद अपनी आपबीती सुनाई है. वहीं इन आरोपों को चीन खारिज करता रहा है. वह कहता है कि इन शिविरों में लोगों को शिक्षित किया जाता है.
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