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शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगा लिया है कि कैंसर की कुछ दवाएं चूहों में तो ट्यूमर सेल को मार देती हैं, लेकिन
शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगा लिया है कि कैंसर की कुछ दवाएं चूहों में तो ट्यूमर सेल को मार देती हैं, लेकिन इंसानों के लिए वे असरकारी नहीं होती हैं। नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित आलेख में शोधकर्ताओं ने बताया है कि इसका कारण पेसेंट-डराइव्ड जेनोग्राफ्ट (पीडीएक्स) में भरपूर मात्रा में माउस वायरस का पाया जाना है। पीडीएफ मॉडल इंसानी ट्यूमर ऊतकों को कम प्रतिरोधी क्षमता वाले चूहों में प्रत्यारोपति कर तैयार किया जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल कैंसर की दवाओं के परीक्षण और विकास के लिए किया जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ता डब्ल्यू. जिम झेंग ने बताया, 'हमने पाया कि जब आप इंसानी ट्यूमर को चूहों में प्रत्यारोपित करते हैं तो वह वैसा ट्यूमर नहीं रह जाता जैसा कि कैंसर रोगी में रहता है। इनमें से अधिकांश ट्यूमर माउस वायरस के अनुकूल हो जाता है।'
शोधकर्ताओं ने पीडीएक्स सैंपल के सीक्वेसिंग के 184 डाटा सेट में से 170 में माउस वायरस पाया। इस संक्रमण के कारण ट्यूमर में अहम बदलाव आया। उन्होंने बताया कि यह पीडीएक्स ड्रग टेस्टिंग मॉडल को प्रभावित कर सकता है।
झेंग का कहना है कि विज्ञानी जब पीडीएक्स मॉडल के जरिये ट्यूमर को खत्म करने का रास्ता तलाशते हैं तो उन्हें लगता है कि चूहों और इंसानों का ट्यूमर एक जैसा ही होगा, जबकि ऐसा होता नहीं है। यही कारण है कि जब ट्यूमर को खत्म करने के लिए दवा देते हैं कि तो वह ट्रायल में तो काम कर जाती है, लेकिन इंसानों के ट्यूमर पर असर नहीं दिखा पाती है।
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