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अमेरिकी रिपोर्ट से दुनिया में खलबली, इस देश पर हमला कर सकता है चीन
jantaserishta.com
11 March 2021 9:11 AM GMT
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फाइल फोटो
अमेरिका के एक शीर्ष कमांडर ने चेतावनी दी है कि चीन अगले छह सालों में ताइवान पर हमला कर सकता है. सीनेट में पेश हुए अमेरिकी कमांडर एडमिरल फिलिप डेविडसन ने कहा कि एशिया में अमेरिका की सैन्य ताकत को रोकने के लिए चीन लगातार कोशिशें कर रहा है और वो सबसे पहले ताइवान पर हमले को ही अंजाम देगा.
चीन स्वशासित ताइवान को बलपूर्वक अपने में मिलाने की अक्सर धमकी देता रहता है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य अधिकारी एडमिरल फिलिप डेविडसन ने मंगलवार को कहा, मुझे चिंता है कि चीन अमेरिकी और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में अमेरिकी की जगह लेने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए कोशिशें तेज कर रहे हैं. वो साल 2050 तक ऐसा कर सकता है.
अमेरिकी सीनेट की सैन्य सेवा समिति के सामने अमेरिकी कमांडर ने कहा, जाहिर है कि इससे पहले उनकी (चीन) महत्वाकांक्षा ताइवान है. और मुझे लगता है कि ये खतरा इसी दशक में पैदा होने वाला है, वास्तव में अगले छह साल में ही चीन ताइवान पर हमला कर सकता है.
डेविडसन ने कहा कि चीन क्षेत्र में अपनी सैन्य पूंजियों का लगातार विस्तार कर रहा है जिससे अमेरिका के लिए प्रतिकूल हालात बन रहे हैं और हमारा प्रतिरोध का स्तर भी कमजोर पड़ रहा है. हम इस खतरे को लगातार बढ़ने दे रहे हैं जिसकी वजह से चीन यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदल सकता है. चीन हमारी सेना की तरफ से मजबूत जवाब दिए जाने से पहले ही इस काम को अंजाम दे सकता है. अमेरिकी कमांडर ने कहा, चीन हमले के इरादे से ही क्षेत्र में साजो-सामान इकठ्ठा कर रहा है वरना इसका कोई और मतलब नहीं हो सकता है.
ताइवान का आधिकारिक नाम 'द रिपब्लिक ऑफ चाइना' है. साल 1949 में गृहयुद्ध के अंत में राष्ट्रवादी नेता कोमिंगतांग मुख्यभूमि (चीन) भाग गए जिसके बाद ताइवान की स्थापना हुई. बीजिंग की चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी का ताइवान पर कभी शासन नहीं रहा है लेकिन वो इसे अपना ही हिस्सा मानता है. चीन का ये भी कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वो इसे सैन्य हमले के जरिए वापस ले लेगा. वहीं, ताइवान की सरकार और इसकी ज्यादातर आबादी इस दावे को खारिज करती है कि वो चीन का हिस्सा हैं. ताइवान में साल 2016 में साइ इंग-वेन के राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन और ताइवान के बीच तनाव और बढ़ गया.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के आखिरी दिनों में ताइवान को हथियारों की बिक्री बढ़ा दी गई थी और अमेरिका के कई शीर्ष राजनयिकों ने भी यहां का दौरा किया. चीन ने इसकी प्रतिक्रिया में लगातार पलटवार की धमकी दी और ताइवान की खाड़ी के नजदीक अपनी सैन्य गतिविधियां तेज कर दीं.
चीन ताइवान को अलग-थलग करने में व्यापार और कूटनीति को भी हथियार बना रहा है. इसके अलावा, चीन जानबूझकर ग्रे जोन यानी विवादित इलाकों के नजदीक भी अपनी चहलकदमी बढ़ा रहा है.
एशिया क्षेत्र में सुरक्षा मामलों पर नजर रखने वाले थिंक टैंक 'प्रोजेक्ट 2049' की फेलो जेसिका ड्रून ने 'द गार्जियन' से कहा, मुझे नहीं लगता है कि चीन के पास सारे विकल्प खत्म हो गए हैं और वो हमला करने जा रहा है. लेकिन मेरी चिंता ये है कि ताइवान के एयरस्पेस में चीनी सेना का लगातार अतिक्रमण करना किसी बड़े खतरे की वजह बन सकता है, हो सकता है कि चीनी नेतृत्व खुद को सही साबित करने के लिए सैन्य संघर्ष तेज करने पर मजबूर हो जाए.
अमेरिका ने साल 1979 में ताइवान की जगह चीन को राजनयिक मान्यता दे दी थी लेकिन इसके बावजूद अमेरिका ताइवान का अनाधिकारिक तौर पर सबसे अहम साझेदार है. अमेरिका ताइवान की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाता रहा है. हालांकि, अमेरिका ने ताइवान को लेकर अपनी रणनीति कभी स्पष्ट नहीं की. अमेरिका ने इस बात का कभी जवाब नहीं दिया कि ताइवान पर हमले की स्थिति में क्या वह उसकी मदद के लिए आगे आएगा. सीनेट के सामने हुई सुनवाई में डेविडसन ने कहा कि अमेरिका को अपनी इस नीति का फिर से मूल्यांकन करना चाहिए.
बाइडेन प्रशासन ने इस बात के संकेत तो नहीं दिए हैं कि वो ताइवान को लेकर पुरानी नीति को खत्म कर देगा लेकिन ताइवान को समर्थन जारी रखने की बात जरूर कही है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने जनवरी महीने में कहा था कि ताइवान को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता चट्टान की तरह है. अमेरिका में ताइवान के अनाधिकारिक प्रतिनिधि को बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में भी आमंत्रित किया गया था. साल 1979 में चीन को मान्यता देने के बाद से ये एक अभूतपूर्व कदम था.
डेविडसन ने कहा, चीन ने प्राकृतिक संसाधनों के मामले में समृद्ध दक्षिण चीन सागर में भी विस्तारवादी दावे किए हैं और यहां तक कि अमेरिका गुआम द्वीप को लेकर भी धमकियां दी हैं. डेविडसन ने कहा कि गुआम चीन के निशाने पर है. चीन की सेना ने कुछ दिन पहले गुआम और डियागो ग्रेसिया से मिलते-जुलते आइलैंड बेस पर हमले के अभ्यास का एक वीडियो भी जारी किया था. अमेरिकी कमांडर डेविडसन ने सांसदों से अपील की कि गुआम द्वीप पर एजिस-एशोर एंटी मिसाइल बैटरी को लगाया जाए जो चीन की ताकतवर मिसाइलों को रास्ते में ही रोक देगा. डेविडसन ने कहा, गुआम की सुरक्षा करनी जरूरी है और भविष्य में आने वाले खतरों को लेकर यहां तैयारी पूरी होनी चाहिए.
डेविडसन ने मांग की कि लंबी दूरी के हथियारों के लिए बजट पास किया जाए ताकि चीन को अंदाजा हो सके कि वो जो करना चाह रहा है, उसकी कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. पेंटागन ने भी क्षेत्र में ऐसी मिसाइलों की तैनाती का समर्थन किया था. हालांकि, एशिया में अमेरिका के सहयोगी इसके पक्ष में नहीं हैं. डेविडसन ने कहा, मिसाइल डिफेंस ही किसी बड़े खतरे को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है, मिसाइल डिफेंस सबसे मुश्किल काम है. मान लीजिए कि मैं बेसबॉल टीम का मैनेजर हूं और मुझे दुनिया का बेस्ट डिफेंस मिल जाए लेकिन अगर मैं स्कोर नहीं कर पाता तो मैं गेम नहीं जीत सकता हूं.
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