रूस-यूक्रेन संकट के बीच दोनों देशों की सीमा पर हालात बिगड़ने के आसार हैं। रूस की संसद ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत वे अपनी सेना को दूसरे देश में कार्रवाई करने के लिए भेज सकते हैं। इसे लेकर पुतिन ने कहा कि अभी उनके पास सारे विकल्प खुले हैं। दूसरी तरफ यूक्रेन में रूस की तरफ से उठाए जा रहे इन कदमों का पश्चिमी देशों ने माकूल जवाब देने का फैसला किया है। जहां पहले जर्मनी और ब्रिटेन ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए तो वहीं अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश को संबोधित करते हुए रूस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया और कहा कि रूस पर महत्वपूर्ण प्रतिबंधों की घोषणा कर दी है।
व्हाइट हाउस प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि "रूस के लिए कूटनीति का द्वार अभी भी खुला है। हम कूटनीति के दरवाजे कभी भी पूरी तरह बंद नहीं करने जा रहे हैं। लेकिन कूटनीति तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक रूस अपनी कार्यप्रणाली नहीं बदलता।"
मास्को द्वारा यूक्रेन अलगाववादी क्षेत्रों दोनेत्सक और लुहांस्क को स्वतंत्र के रूप में मान्यता देने के एक दिन बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों के पहले दौर की घोषणा की।
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि मामूली, मध्यम या बड़े आक्रमण जैसी कोई बात नहीं है। आक्रमण एक आक्रमण होता है। हमारी पहली योजना कूटनीति के हर उपकरण का उपयोग करना है। दूसरी योजना हमारी जमीन के हर इंच और हर शहर और हर गांव के लिए लड़ना है। बेशक जब तक हम जीत नहीं जाते तब तक लड़ने के लिए तैयार हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन का कहना है कि वह इस सप्ताह रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से नहीं मिलेंगे। उन्होंने कहा कि "ऐसा नहीं है कि हम यूक्रेन पर आक्रमण की शुरुआत देख रहे हैं, लेकिन रूस ने कूटनीति प्रयासों की लगातार अस्वीकृति से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह यूक्रेन पर हमला कर सकता है। ऐसे माहौल में इस मुलाकात का कोई मतलब नहीं है।
व्हाइट हाउस में अपने संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन में बढ़ते तनाव और रूस की आक्रमता पर अंकुश लगाने के लिए प्रतिबंधों की रूपरेखा मीडिया के सामने रखी। संबोधन का संक्षिप्त विवरण:-