विश्व
अमेरिकी सांसद ने भारत से 'टीम अमेरिका' में शामिल होने का किया आह्वान
jantaserishta.com
13 April 2023 5:52 AM GMT
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वाशिंगटन (आईएएनएस)| चीन के साथ बढ़ते विवादास्पद संबंधों पर एक प्रमुख कांग्रेस कमेटी के एक अमेरिकी सांसद ने भारत से रूस और चीन की जगह 'टीम अमेरिका' चुनने का आह्वान किया।
मैसाचुसेट्स से चुने गए डेमोक्रेट जेक ऑचिनक्लोस ने बुधवार को कहा कि उन्हें चिंता है कि अगर भारत वास्तव में रूस और चीन के साथ नहीं जुड़ता है तो वह एक गंभीर तीसरा कारक बन सकता है।
जेक ऑचिनक्लोस अमेरिका और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच सामरिक प्रतिस्पर्धा पर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की प्रवर समिति के सदस्य हैं, जिन्हें प्रतिनिधिसभा को नियंत्रित करने वाले रिपब्लिकन और व्हाइट हाउस व सीनेट को नियंत्रित करने वाले डेमोक्रेट का समर्थन हासिल है।
ऑचिनक्लोस की टिप्पणी बढ़ती निराशा को दर्शाती है। उन्होंने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर भारत की स्थिति के बारे में अन्य नीति निर्माताओं और सांसदों द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं को ही दोहराया।
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के चार भारतीय मूल के सदस्यों में से एक, रो खन्ना, 2022 में सार्वजनिक रूप से भारत को अमेरिका और रूस के बीच चयन करने के लिए कहने वालों में से एक हैं।
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर भारत के रुख की आलोचना दो मुख्य कारकों पर टिकी है। एक, स्पष्ट शब्दों में आक्रमण की निंदा करने से भारत का इनकार। और, दूसरा रूसी तेल की भारतीय द्वारा खरीददारी।
भारत के इस रुख को रूस और चीन के बीच उसकी बढ़ती निकटता के संदर्भ में देखा जाता है।
औचिनक्लॉस ने भारत की तेल खरीद के बारे में कहा, फिलहाल वे बड़ी मात्रा में रूसी तेल का आयात कर रहे हैं।
यह एक बड़ी निराशा है कि उन्होंने मूल्य कैप प्रतिबंधों को कम करके आंका है।
औचिनक्लॉस ने कहा, भारत ऐतिहासिक रूप से गुटनिरपेक्ष रहा है।
हम चाहते हैं कि भारत यूएस ऑपरेटिंग सिस्टम में प्लग इन हों, न कि ऑपरेटिंग सिस्टम से बाहर।
उन्होंने कहा, भारत के पास लोकतंत्र के रूप में चीनियों के साथ हिमालय में लड़ने का हर कारण है, उन्हें टीम अमेरिका में नहीं होना चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह चिंतित हैं कि भारत टीम अमेरिका में नहीं है, सांसद ने कहा, मुझे चिंता है कि भारत वहां नहीं होंगा। कम से कम वह एक तीसरे पक्ष का कारक होगा।
गौरतलब है कि बाइडेन प्रशासन पश्चिम के करीब जाने के लिए मोदी सरकार पर दबाव डाल रहा है।
अमेरिकी नीति निर्माता सैन्य हार्डवेयर के लिए रूस पर लंबे समय से भारत की निर्भरता के बारे में जानते हैं। नई दिल्ली को उम्मीद है कि उन्हें इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस कई मुद्दों पर भारत का समर्थन करता रहा है।
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