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US ने फ्रीज किया फंड: म्यांमार में सेना शासकों ने 1 अरब डॉलर हथियाने की कोशिश

Neha Dani
5 March 2021 3:27 AM GMT
US ने फ्रीज किया फंड: म्यांमार में सेना शासकों ने 1 अरब डॉलर हथियाने की कोशिश
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जिसके कारण बर्मा में अनेक लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है.’

म्यांमार में सेना (Myanmar Military) की तानाशाही लगातार बढ़ती जा रही है. यहां सैन्य सरकार तख्तापलट का विरोध कर रहे हजारों लोगों को चुप कराने के लिए क्रूर तरीकों का इस्तेमाल कर रही है. जिसमें अभी तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. अब खबर आई है कि 1 फरवरी को तख्तापलट करने के कुछ दिन बाद सैन्य शासकों ने अमेरिका के न्यूयॉर्क (New York) में स्थित फेडरल रीजर्व बैंक (Federal Reserve Bank) से करीब 1 अरब डॉलर स्थानांतरित करने की कोशिश की थी. जिसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने फंड को फ्रीज कर दिया है.

मामले की जानकारी रखने वाले तीन लोगों ने ये बात बताई है. इन लोगों में अमेरिकी सरकार (US Government) का एक अधिकारी भी शामिल है. इसके साथ ही अमेरिका ने सैन्य सरकार के खिलाफ व्यापार से जुड़े प्रतिबंध (trade sanctions) भी लगा दिए हैं. ये कदम तब उठाया गया है, जब एक दिन पहले ही सैन्य शासन ने दर्जनों लोगों की हत्या कर दी है. यहां के वाणिज्य विभाग ने म्यांमार के रक्षा और गृह मंत्रालय के साथ-साथ सेना से जुड़ी दो कंपनियों के निर्यात पर भी नियंत्रण लागू कर दिया है. प्रतिबंधित सामानों में वो उत्पाद भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल सेना करती है.
अमेरिका ने क्या कहा?
इससे एक दिन पहले अमेरिका ने म्यांमार को लेकर कहा था (US on Myanmar) कि असैन्य शासन को बहाल करने की शांतिपूर्ण तरीके से मांग कर रहे म्यांमार के लोगों के प्रति बरती जा रही भयावह हिंसा को देखकर वह स्तब्ध है और बहुत ही दुखी है. पिछले महीने म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है. अकेले बुधवार को ही सुरक्षा बलों ने कम से कम 33 प्रदर्शनकारियों की हत्या कर दी है.
'हम स्तब्ध और दुखी'
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइज ने कहा, 'जो तस्वीरें और खबरें मिल रही हैं, वे हैरान करने वाली हैं. असैन्य सरकार को बहाल करने का शांतिपूर्ण आह्वान कर रही बर्मा की जनता पर बरसाई जा रही भयावह हिंसा को देखकर हम स्तब्ध और दुखी हैं.' प्राइज ने कहा, 'हम सभी देशों का आह्वान करते हैं कि बर्मा (म्यांमार) की सेना द्वारा अपने ही लोगों के खिलाफ की जा रही बर्बर हिंसा की वे एक होकर निंदा करें और सेना की कार्रवाई पर जवाबदेही की मांग करें, जिसके कारण बर्मा में अनेक लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है.'


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