US Election 2020: अमेरिका में गहराया चुनावी हिंसा का अंदेशा, लोग खरीद रहे हैं हथियार
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अमेरिका में चुनावी हिंसा की आशंकाएं पहले से जताई जा रही थीं, लेकिन चुनाव करीब आने के साथ ही इन पर खास ध्यान केंद्रित हो गया है। सोमवार को अमेरिका के जाने-माने अखबार 'यूएसए टुडे' की एक रिपोर्ट में विस्तार से बताया कि किस तरह लोग तीन नवंबर को मतदान के बाद हिंसा और अव्यवस्था फैलने की आशंका में जरूरी चीजों की खरीदारी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बड़ी संख्या में लोगों ने गुजरे महीनों में हथियारों की खरीदारी की है। अमेरिकी समाज की नब्ज जानने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप जीतें या उनके डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन- विभिन्न शहरों में हिंसा भड़कने का अंदेशा बना रहेगा।
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरे महीनों में देशभर में विरोध-प्रदर्शनों के दौरान तकरीबन दो सौ हिंसक घटनाएं हुईं। ज्यादातर ऐसी घटनाएं तब हुईं, जब शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर ट्रंप समर्थक दक्षिणपंथी गुटों ने हमले किए। देश में नस्लवादी भावनाएं उभार पर हैं। इस बीच 'बुगालू बोइस' जैसे उग्रवादी संगठन सामने आए हैं, जिन्होंने नस्लवादी युद्ध छेड़ने का इरादा जताया है। इसके अलावा ओथ कीपर्स और प्राउड बॉयज जैसे ग्रुप भी हैं, जिनका नस्लवादी रूझान जग-जाहिर है। ये सभी लोग इस चुनाव मे ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं। दूसरी तरफ ट्रंप को फासिस्ट मानने वाले एंटिफा (एंटी-फासिस्ट( जैसे ग्रुप सामने आए हैं, जो ट्रंप समर्थकों का सीधा मुकाबला करने में यकीन करते हैं।
सियासी जानकारों का कहना है कि अगर जो बिडेन जीतते हैं, तो ट्रंप समर्थक उनकी जीत को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने डाक से हो रहे मतदान की वैधता पर पहले ही सवाल उठाए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इनमे से ज्यादातर वोट बिडेन के पक्ष में जा रहे हैं। इन खबरों के मुताबिक ट्रंप के ज्यादातर समर्थक मतदान के दिन बूथों पर जाकर वोट डालेंगे। जानकारों के मुताबिक अगर ट्रंप जीत गए, तो उनके उग्रवादी समर्थक नस्लभेद के विरोध में आंदोलन चला रहे ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन से जुड़े लोगों और ट्रंप के वैचारिक विरोधियों पर हमले शुरू कर सकते हैं।
अमेरिकी मीडिया में फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन (एफबीआई) के आंकड़ों से छपी रिपोर्टों के मुताबिक इस वर्ष के आरंभ से लेकर अब तक रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने बंदूकें खरीदी हैं। गन डीलर्स के पास ऐसे 39 लाख लोगों की सूची है, जो सिर्फ इस साल जून में बंदूक खरीदने आए। ये वही समय था, जब मिनियापोलिस शहर में जॉर्ज फ्लायड नामक एक अश्वेत व्यक्ति की पुलिस के हाथों मौत के बाद देश में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन भड़क उठा था। पिछले साल देश में दो करोड़ 83 लाख बंदूकें खरीदी गई थीं।
जानकारों के मुताबिक देश में बढ़े तनाव का कारण यह है कि बहुत से अमेरिकी इस चुनाव को अमेरिका की पहचान का चुनाव मान रहे हैं। इससे राजनीतिक विपक्षी को दुश्मन मानने का भाव समाज में गहराया है। श्वेत चरमपंथियों की तरफ से यह प्रचार किया गया है कि अगर ट्रंप हार गए, तो श्वेत परिवारों पर लुटेरे और बलात्कारी हमला कर देंगे। इसकी प्रतिक्रिया दूसरी तरफ भी हुई है। कुल मिलाकर भय का माहौल गहरा हो गया है। ऐसे में अपनी सुरक्षा के लिए और अशांति की हालत में जरूरी चीजों की कमी ना हो, यह सोच कर लोग पैनिक बाइंग यानी घबराहट में खरीदारी कर रहे हैं।