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यूरोप समेत दुनियाभर में सोवियत संघ और उसके समर्थक देशों के आसपास जासूसी की थी।
रूस के परमाणु हमले की आशंका के बीच अमेरिका ने बोइंग आरसी-135 विमान को तैनात कर दिया है। यह विमान परमाणु बम का पता लगाने में माहिर है। हजारों फीट की ऊंचाई से अपने हाईटेक कैमरे, रडार और सेंसर्स की मदद से यह विमान जमीन के अंदर मौजूद परमाणु हथियारों को खोज सकता है। इसमें हवा में मौजूद रेडिएशन की छोटी से छोटी मात्रा का पता लगाने की क्षमता है। यह विमान इन दिनों काला सागर में रूस की हवाई सीमा के नजदीक गश्त कर रहा है। अगर रूस ने जल, थल या नभ में से किसी भी माध्यम से परमाणु मिसाइल लॉन्च की तो यह विमान उसका पहले ही पता लगा लेगा। इस जानकारी के आधार पर अंतरिक्ष में मौजूद अमेरिकी सैटेलाइट्स उस मिसाइल के लक्ष्य की सटीक जानकारी दे सकते हैं। इससे हमले का प्रभाव से बचने और जवाबी कार्रवाई के लिए कुछ वक्त मिल सकता है। अमेरिकी वायु सेना में बोइंग आरसी-135 एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल टोही और गश्ती विमान के तौर पर किया जाता है।
आरसी-135 विमान कितना खतरनाक
आरसी-135 विमान को बोइंड ने बनाया है। इस विमान में जनरल डायनेमिक्स, लॉकहीड, एलटीवी, ई-सिस्टम्स और एल3 टेक्नोलॉजीज सहित कई कंपनियों के उपकरणों को लगाया गया है। बोइंग आरसी-135 विमान का इस्तेमाल अमेरिकी वायु सेना और ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स करती है। यह दुनिया के सबसे बड़े टोही विमानों में से एक है। यह विमान अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं और खुफिया एजेंसियों के लिए रीयल टाइम डेटा जुटाने, दुश्मन के क्षेत्र की जानकारी पाने, उसका विश्लेषण करने और मिले ऑउटपुट की जानकारी देने का काम करता है। बोइंग आरसी-135 विमान सी-135 स्ट्रैटोलिफ्टर के एयरफ्रेम पर आधारित है। 1961 से कई तरह के आरसी-135 विमान दोनों देशों की वायु सेना में कार्यरत हैं। बोइंग के मॉडल 717 पर आधारित सी-135 और केसी-135 विमानों के विपरीत आरसी-135 विमान को मॉडल 739 के रूप में मान्यता दी गई है। हालांकि बाद के समय में इस विमान में कई बड़े बदलाव भी किए गए हैं।
आरसी-135 विमान को अमेरिका ने क्यों बनाया
अमेरिकी वायु सेना ने 1962 में बोइंग RB-50 सुपरफ़ोर्ट्रेस को बदलने के लिए आरसी-135 विमान के पहले वैरिएंट RC-135A का ऑर्डर दिया था। शुरूआत में ऐसे 9 विमान बनाने का ऑर्डर दिया गया था, जिसे बाद में घटाकर चार कर दिया गया। बोइंग ने वैरिएंट का नाम बोइंग 739-700 रखा, लेकिन प्रोडक्शन में ये KC-135A का एक मोडिफाइड वैरिएंट थे। इस विमान में टैंकर विमानों में इस्तेमाल होने वाले प्रैट एंड व्हिटनी जे 57 टर्बोजेट इंजन का इस्तेमाल किया गया था। इनकी सबसे बड़ी विशेषता विमान के अगले पहियों के ठीक पीछे लगा एक कैमरा था, जहां फ्यूल टैंक स्थित होता है। इस विमान में उड़ान के दौरान ईंधन भरने की कोई व्यवस्था नहीं थी। उस समय इस विमान का इस्तेमाल सिर्फ फोटोग्राफी और सर्वेक्षण कार्यों के लिए किया जाता था। RC-135A विमान आरसी-135 फैमिली का पहला सदस्य था, लेकिन यह सर्विस में शामिल होने वाला पहला विमान नहीं था। RC-135S पहला विमान था, जिसे 1961 में टोही मिशन में इस्तेमाल किया गया। इसके बाद साल 1962 में आरसी-135डी को सेवा में शामिल किया गया।
RC-135 के स्पेसिफिकेशन जानें
क्रू 2 पायलट, 2 नेविगेटर
क्षमता 21 से 27 स्पेशलिस्ट (मिशन के आधार पर)
लंबाई 136 फीट 3 इंच (41.53 मीटर)
पंखों का फैलाव 130 फीट 10 इंच (39.88 मीटर)
ऊंचाई 41 फीट 8 इंच (12.70 मीटर)
खाली वजन 56245 किलोग्राम
अधिकतम टेकऑफ़ वजन 146,284 किलोग्राम
पावरप्लांट 4 × CFM इंटरनेशनल F-108-CF-201 टर्बोफैन इंजन
अधिकतम गति 933 किलोमीटर प्रति घंटा
रेंज 5552 किलोमीटर
आरसी-135 का ऑपरेशन इतिहास
वर्तमान RC-135 बेड़ा 1960 के दशक में शामिल हुए विमान का एक अपग्रेडेड वैरिएंट है। शुरुआत में इसे स्ट्रैटजिक एयर कमांड ने टोही मिशन में इस्तेमाल किया। बाद में RC-135 बेड़े ने अपने कार्यकाल के दौरान अमेरिकी सेना से जुड़े हर सशस्त्र संघर्ष में भाग लिया है। आरसी-135 विमान ने वियतनाम युद्ध, भूमध्य सागर क्षेत्र में ऑपरेशन एल डोराडो कैन्यन, ग्रेनेडा में ऑपरेशन अर्जेंट फ्यूरी, पनामा में ऑपरेशन जस्ट कॉज, बाल्कन में ऑपरेशन्स डेलिब्रेट फोर्स एंड एलाइड फोर्स और खाड़ी देशों में ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड, डेजर्ट स्टॉर्म में हिस्सा लिया। आरसी-135 विमान ने 1990 के दशक की शुरुआत से दक्षिण-पश्चिम एशिया में निरंतर उपस्थिति बनाए रखी है। इन विमानों ने शीत युद्ध के दौरान यूरोप समेत दुनियाभर में सोवियत संघ और उसके समर्थक देशों के आसपास जासूसी की थी।
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