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ओमिक्रोन वैरिएंट पर अमेरिकी कोरोना वैक्सीन बेअसर, वैज्ञानिकों ने बताया बूस्टर डोज को जरूरी

Renuka Sahu
15 Dec 2021 4:25 AM GMT
ओमिक्रोन वैरिएंट पर अमेरिकी कोरोना वैक्सीन बेअसर, वैज्ञानिकों ने बताया बूस्टर डोज को जरूरी
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फाइल फोटो 

दक्षिण अफ्रीका में पहली बार पहचाने गए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट से निपटने के लिए दुनिया के कई देशों में बूस्टर डोज लगाई जा रही है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दक्षिण अफ्रीका में पहली बार पहचाने गए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट से निपटने के लिए दुनिया के कई देशों में बूस्टर डोज लगाई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 60 से अधिक देशों तक फैल चुके ओमिक्रोन को विश्व के लिए बड़ा खतरा बताया है और विश्व भर के देशों से इससे निपटने के लिए तैयारी करने को कहा है। वहीं, एक अध्ययन में सामने आया है कि अमेरिका में अधिकृत नों कोरोना वैक्सीन नए पाए गए ओमिक्रोन वैरिएंट के खिलाफ काफी कम सुरक्षात्मक हैं। हालांकि वैक्सीन की बूस्टर डोज नए वैरिएंट से निपटने में कारगर साबित हो सकती है।

मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल (एमजीएच), हार्वर्ड और एमआइटी के शोधकर्ताओं ने उन लोगों का परीक्षण किया जिन्होंने ओमिक्रोन वैरिएंट से मिलते जुलते स्यूडोवायरस के खिलाफ माडर्ना, जानसन एंड जानसन और फाइजर/बायोएनटेक के टीके लगवाए थे। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि ओमिक्रोन वैरिएंट कोरोना वायरस के पिछले रूपों की तुलना में अधिक संक्रामक है। यह खतरनाक डेल्टा वैरिएंट से भी लगभग दोगुना अधिक संक्रामक है और यह जल्द ही इससे आगे निकल सकता है।
आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सोमवार को कहा कि उन्होंने पाया कि दो-खुराक वाले फाइजर और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन नए संस्करण के खिलाफ पर्याप्त न्यूट्रलाइजिंग एंटीबाडी नहीं बना रही है। फाइजर और बायोएनटेक ने पिछले हफ्ते कहा था कि उनकी वैक्सीन के तीन डोज नए ओमिक्रोन वेरिएंट को बेअसर करने में सक्षम है। माडर्ना और जानसन एंड जानसन ने अभी तक अपना कोई डेटा जारी नहीं किया है किउसके टीके नए संस्करण के खिलाफ कितने असरदार हैं। जानसन एंड जानसन ने नए अध्ययन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और माडर्न ने टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
वहीं, डब्ल्यूएचओ ने भी आगाह करते हुए कहा है कि यह वैरिएंट वैक्सीन से पैदा हुई प्रतिरक्षा को चकमा दे सकता है। डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा है कि ओमिक्रोन को लेकर अभी अनिश्चितता बनी हुई है। इसमें हुए बदलाव से संक्रमण तेजी से फैल सकता है और कोरोना के ज्यादा मामले सामने आ सकते हैं। कई कारणों से यह वैरिएंट आफ कंसर्न विश्व के लिए बड़ा खतरा बन गया है।

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