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राष्ट्रपति जो बाइडन के शपथ लेते ही पोर्टलैंड में हुआ हंगामा, भवनो में की गई तोड़फोड़

Neha Dani
21 Jan 2021 8:05 AM GMT
राष्ट्रपति जो बाइडन के शपथ लेते ही पोर्टलैंड में हुआ हंगामा, भवनो में की गई तोड़फोड़
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राष्ट्रपति जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटे |

राष्ट्रपति जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटे बाद, पोर्टलैंड में प्रदर्शनकारियों ने बुधवार (स्थानीय समय) को डेमोक्रेटिक पार्टी के स्थानीय मुख्यालय में तोड़फोड़ की और इमारत की खिड़कियों तक को नुकसान पहुंचाया गया। बताया गया कि हंगामे के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस के खिलाफ और 'फासीवादी नरसंहार' के नारे लगा रहे थे।

सिएटल में कई गिरफ्तारियां भी की गईं, जहां विरोध प्रदर्शनकारियों ने कई इमारतों को नुकसान पहुंचाने के साथ हिंसक रूप ले लिया। इस बीच, पोर्टलैंड पुलिस ने कहा कि आठ लोगों को ऐसे आरोपों में गिरफ्तार किया गया है जिसमें आपराधिक काम करना, विध्वंसक उपकरण का कब्जा, दंगा और आग लगा देना शामिल है।

डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ ओरेगन ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है जब पिछले वर्षों के दौरान हमारे भवन में तोड़फोड़ की गई है। पूर्व की घटनाओं में भी हमने महत्वपूर्ण कार्य किए, कोई ऐसी घटना हमें काम करने से पीछे नहीं कर सकती।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, काले रंग में लगभग 200 वामपंथी प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई हत्याओं और 'फासीवादी नरसंहारों' के लिए सरकार-विरोधी नारे लगाए और प्रदर्शन को पोर्टलैंड की सड़कों पर ले गए। इस दौरान We don't want Biden-We want Revenge, यानी हमें बाइडन नहीं चाहिए, हमें बदला चाहिए, ऐसे नारे लगाए गए।

बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने डेमोक्रेटिक पार्टी के स्थानीय मुख्यालय की खिड़कियों को तोड़ दिया। इस बीच, सिएटल में, लगभग 150 लोगों ने बैनरों के साथ मार्च करते हुए कहा, 'ICE (अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन) को खत्म कर दें, कोई पुलिस नहीं चाहिए, जेल न हो, सीमाओं को खत्म करें, राष्ट्रपति नहीं चाहिए।'
ज्ञात हो, 6 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक कैपिटल बिल्डिंग में घुस गए। इस दौरान सुरक्षा बलों और ट्रंप समर्थकों में झड़प हुई जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई। कैपिटल बिल्डिंग में हंगामे के लिए ट्रंप को जिम्मेदार बताया गया और उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया। प्रस्ताव में यह आरोप लगाया गया कि ट्रंप के भाषण से उनके समर्थक उत्तेजित थे। बाद में सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब से उनके भाषण के वीडियो हटा लिए गए। ट्विटर ने तो ट्रंप को अस्थायी रूप से बैन भी कर दिया है।


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