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नेपाल की राजनीति में फिर से बवाल, PM ओली ने अपने ही चार मंत्रियों की संसद सदस्यता छीनी

Neha Dani
9 April 2021 11:16 AM GMT
नेपाल की राजनीति में फिर से बवाल, PM ओली ने अपने ही चार मंत्रियों की संसद सदस्यता छीनी
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प्रधानमंत्री ओली से इस्तीफा देने और नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने को कहेगी.

प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के मंत्रिमंडल ( Prime Minister K P Sharma Oli-led Cabinet) के चार मंत्रियों से संसद की सदस्यता छीन ली गई है. संसद की सदस्यता गंवाने वाले मंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की 'सीपीएन माओइस्ट सेंटर' पार्टी के सदस्य हैं. ऊर्जा मंत्री तोप बहादुर रायमाझी, उद्योग मंत्री लेखराज भट्टा, शहरी विकास मंत्री प्रभु शाह और श्रम मंत्री गौरीशंकर चौधरी से उनकी पार्टी का सुझाव मिलने पर संसद की सदस्यता छीन ली गई.

प्रतिनिधि सभा में गुरुवार को सदन के अध्यक्ष अग्नि प्रसाद सापकोटा ने कहा कि 'सीपीएन माओइस्ट सेंटर' के निर्णय के बाद चारों मंत्रियों को संसद की सदस्यता से मुक्त कर दिया गया. नेपाल के कानून के मुताबिक चारों मंत्री ओली के मंत्रिमंडल में अगले छह महीने तक मंत्री रह सकते हैं लेकिन इससे ज्यादा समय तक मंत्री पद पर रहने के लिए उन्हें फिर से सांसद बनना होगा.रायमाझी, भट्टा, शाह और चौधरी इस साल सीपीएन माओइस्ट सेंटर का पुनर्गठन होने के बाद भी अपनी पार्टी में नहीं लौटे थे. इसकी बजाय वे ओली की सीपीएन यूएमएल में शामिल हो गए थे.

केपी शर्मा ओली पर बढ़ता दबाव
इस बीच बता दें कि नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने सीपीएन-माओइस्ट सेंटर एवं अन्य दलों के समर्थन से प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को गिराकर अपने नेतृत्व में सरकार बनाने की पहल शुरू की है. पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रकाश मान सिंह के मुताबिक, नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय कार्य समिति ने अपने नेतृत्व में नई सरकार बनाने की पहल करने का फैसला किया. सिंह ने कहा कि नेपाली कांग्रेस प्रधानमंत्री ओली से इस्तीफा देने और नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने को कहेगी.
नेपाल में राजनीतिक संकट
प्रधानमंत्री ओली द्वारा बीते दिसंबर में प्रतिनिधि सभा को भंग किए जाने से नेपाल में राजनीतिक संकट चल रहा है. एक ऐतिहासिक फैसले में, फरवरी में शीर्ष अदालत ने संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया था. उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने सीपीएन-एमसी के सीपीएन-यूएमएल के साथ विलय को रद्द कर दिया था जिसके बाद देश में राजनीतिक परिदृश्य और बदतर हो गया. 2017 के आम चुनाव में उनके गठबंधन को जीत मिली थी जिसके बाद एकीकृत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन करने के लिए मई 2018 में दोनों पार्टियों का विलय कर दिया था.


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