![मचा हड़कंप: अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने से 7 कोरोना संक्रमितों की मौत मचा हड़कंप: अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने से 7 कोरोना संक्रमितों की मौत](https://jantaserishta.com/h-upload/2020/12/07/867590-dk.webp)
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पाकिस्तान (Pakistan) में भी एक बार फिर से कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पाकिस्तान (Pakistan) में भी एक बार फिर से कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं और विश्व स्वास्थय संगठन (WHO) ने भी इसके प्रति चिंता जाहिर की है. इसी बीच पेशावर (Peshawar) स्थित एक अस्पताल में ऑक्सीजन न मिलने से शनिवार को 7 संक्रमितों की मौत हो गई. इस अस्पताल में ऑक्सीजन के सिलेंडर 180 किलोमीटर दूर रावलपिंडी से आते हैं. पाकिस्तान में अब तक 4 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं जबकि 8 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.
डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये घटना खैबर टीचिंग हॉस्पिटल भी है जहां शनिवार देर शाम ऑक्सीजन ही ख़त्म हो गयी और ICU में भर्ती 7 कोरोना मरीजों को जान गंवानी पड़ी. अस्पताल के प्रवक्ता फरहद खान ने रविवार को बताया कि मारे गए सातों मरीज ICU में भर्ती थे और रावलपिंडी से ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो गयी थी. उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन आने में देरी हो गयी और हमारे लिए मरीजों को बचाना नामुमकिन हो गया था. मरने वाले लोगों में एक 2 साल का बच्चा भी शामिल है. सरीम नाम के इस बच्चे के पिता ने बताया कि रात ढाई बजे अचानक पता चला कि अस्पताल में ऑक्सीजन ही नहीं है और इसी की कमी से हमारे बच्चे की मौत हो गयी.
उधर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के एक नए अध्ययन में सामने आया है कि कोविड-19 महामारी के गंभीर दीर्घकालिक परिणामों के चलते 2030 तक 20 करोड़ 70 लाख और लोग घोर गरीबी की ओर जा सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो दुनिया भर में बेहद गरीब लोगों की संख्या एक अरब के पार हो जाएगी. अध्ययन में कोविड-19 से उबरने के विभिन्न परिदृश्यों के कारण सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर पड़ने वाले असर और महामारी की वजह से अगले दशक तक पड़ने वाले बहुआयामी प्रभावों का आकलन किया गया. यह अध्ययन यूएनडीपी और डेनवर विश्वविद्यालय में 'पारडी सेंटर फॉर इंटरनेशनल फ्यूचर्स' के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी का हिस्सा है.
अध्ययन के मुताबिक, 'कोविड-19 महामारी के गंभीर दीर्घकालिक परिणामों के चलते वर्ष 2030 तक 20 करोड़ 70 लाख और लोग घोर गरीबी की ओर जा सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो दुनिया भर में बेहद गरीब लोगों की संख्या एक अरब के पार हो जाएगी.' वर्तमान मृत्यु दर और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के हालिया वृद्धि दर अनुमान के आधार पर 'बेसलाइन कोविड' परिदृश्य यह होगा कि महामारी के पहले दुनिया जिस विकास पथ पर थी, उसकी तुलना में चार करोड़ 40 लाख अतिरिक्त लोग 2030 तक घोर गरीबी की चपेट में आ जाएंगे. इसमें कहा गया है कि 'हाई डैमेज' परिदृश्य के तहत कोविड-19 के चलते वर्ष 2030 तक 20 करोड़ 70 लाख और लोग घोर गरीबी की ओर जा सकते हैं. यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टीनर ने कहा कि नया गरीबी शोध यह दिखा है कि इस वक्त नेता जो विकल्प चुनेंगे, वे दुनिया को अलग-अलग दिशाओं में ले जा सकते हैं.
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