कोरोना वायरस ने दुनियाभर को पिछले डेढ़ साल से गहरे संकट में डाल दिया है. करोड़ों संक्रमित हो गए, लाखों लोगों की जान चली गई. यही नहीं अप्रत्यक्ष तौर पर भी इस जानलेवा वायरस ने हमें प्रभावित किया है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने एक रिपोर्ट चेताया है कि इस महामारी से हुई तबाही की वजह से गरीबों के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.
संयुक्त राष्ट्र (UN) की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के कारण अप्रत्याशित तबाही से अगले साल 20 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की आशंका है. अभी 10.8 करोड़ कामगार 'गरीब या अत्यंत गरीब' की श्रेणी में पहुंच गए हैं. संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) ने बुधवार को 'विश्व रोजगार और सामाजिक परिदृश्य: रूझान 2021' रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी से श्रम बाजार में पैदा संकट खत्म नहीं हुआ है. नुकसान की भरपाई के लिए रोजगार वृद्धि कम से कम 2023 तक नाकाफी होगी.
महामारी ने मचाई अप्रत्याशित तबाही
रिपोर्ट में कहा गया, 'ठोस नीतिगत प्रयासों के अभाव के कारण महामारी अप्रत्याशित तबाही लेकर आई है, जिससे कई वर्षों तक सामाजिक और रोजगार परिदृश्य डरावना होगा.' रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में कुल कामकाजी समय के 8.8 प्रतिशत हिस्से का नुकसान हुआ है, यानि 25.5 करोड़ पूर्णकालिक श्रमिक एक साल तक काम कर सकते थे. वैश्विक संकट से पैदा रोजगार की खाई 2021 में 7.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी और 2022 में यह 2.3 करोड़ होगी. रोजगार और कामकाजी घंटे में कमी से बेरोजगारी का संकट उच्च स्तर पर पहुंचेगा.
दुनिया में बढ़ेगी बेरोजगारी
रिपोर्ट में कहा गया कि इसका परिणाम यह होगा कि 2022 में वैश्विक स्तर पर 20.5 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की आशंका है जबकि 2019 में 18.7 करोड़ लोग बेरोजगार थे. इस तरह बेरोजगारी दर 5.7 प्रतिशत है. कोविड-19 संकट अवधि को छोड़कर यह दर इससे पहले 2013 में थी. इस साल की पहली छमाही में सबसे प्रभावित क्षेत्रों में लेटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र, यूरोप और मध्य एशिया हैं.
कामकाजी घंटों में गिरावट, आमदनी में कमी
यूएन रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार और कामकाजी घंटे में गिरावट से श्रमिकों की आमदनी में कमी आई है. इसी अनुपात में गरीबी भी बढ़ी है. रिपोर्ट में कहा गया, '2019 की तुलना में वैश्विक स्तर पर 10.8 करोड़ अतिरिक्त कामगार अब गरीब या अत्यंत गरीब की श्रेणी में पहुंच चुके हैं.' इसका मतलब हुआ कि ऐसे कामगार और उनके परिवार प्रति दिन प्रति व्यक्ति 3.20 डॉलर से कम खर्च में गुजारा करते हैं. ILO के महानिदेशक गय राइडर ने कहा कि कोविड-19 से उबर पाना महज स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है बल्कि अर्थव्यवस्था और समाज को पहुंची गंभीर क्षति से भी निपटना होगा.