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हुए इसमें अपना योगदान नहीं दिया तो इसका बुरा नतीजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ेगा.
यूक्रेन पर रूस के हमले (Ukraine war) के करीब 200 दिन हो चुके हैं. शुरुआत में दुनिया के कोने कोने से शक्तिशाली रूस से छोटे से देश यूक्रेन को बचाने की आवाज उठी. घर-घर में इस लड़ाई की चर्चा हुई. आम जनता से लेकर कई नेताओं ने मॉस्को की सरकार और वहां के हुक्मरानों को क्रूर और तानाशाह तक बता दिया. धीरे धीरे ये चर्चा चंद देशों और लोगों तक सिमट गई. इस बीच पूरी दुनिया का ध्यान किधर है ये तथ्य एक सर्वे में सामने आया है.
संयुक्त राष्ट्र भी जता चुका है चिंता
एक ग्लोबल फाउंडेशन के सर्वे के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर फिलहाल यूक्रेन को रूस के कब्जे से मुक्त कराने से ज्यादा बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा लोगों के रहन-सहन यानी कॉस्ट ऑफ लिविंग (जीवन यापन के खर्चों) में हुई बढ़ोतरी का होना है. सर्वे के मुताबिक लोग अब भी यूक्रेन से सहानुभूति तो रखते हैं पर उनका फोकस अब केवल यूक्रेन से रूसी सैनिकों की वापसी भर से है. सर्वेक्षण से पता चलता है कि दुनिया के 22 बड़े देशों में से 16 के लोगों का बहुमत से मानना है कि रूस को कब्जे वाली जमीन छोड़ देनी चाहिए. इन सर्वे की रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) भी चिंता जता चुका है.
ये रहे तीन प्रमुख मुद्दे
इस सर्वे में शामिल हजारों लोगों से जब उनकी तीन प्राथमिकताएं बताने को कहा गया तो उन्होंने कॉस्ट ऑफ लिविंग में हुई बढ़ोतरी और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के मुद्दे को यूक्रेन युद्ध से ज्यादा अहमियत देते हुए इन दोनों का बड़ा मुद्दा बताया. बढ़ती मुद्रास्फीति और ऊर्जा की कीमतों को लेकर लोगों ने कहा कि उनके जीवन पर इन चीजों का असर दिखना शुरू हो गया है. वहीं सर्वे में शामिल लोगों ने यह भी कहा कि अगर जलवायु परिवर्तन को लोगों ने प्राथमिक चुनौती मानते हुए इसमें अपना योगदान नहीं दिया तो इसका बुरा नतीजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ेगा.
सोर्स: zeenews
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