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अन्य गैर-जन्म लेने वाले माता-पिता के अनुभवों को देखना भी जरूरी है।
एक बच्चे के जन्म के तुरंत बाद पिता या फिर जन्म न देने वाले माता-पिता के लिए उसे सीधे अपनी छाती पर रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाने की परंपरा को अब तेजी से अपनाया जा रहा है। त्वचा से त्वचा के इस संपर्क को अक्सर "कंगारू देखभाल" कहा जाता है, क्योंकि यह कंगारू द्वारा अपने बच्चों को गर्मी और सुरक्षा प्रदान करने के तरीके की नकल करता है। दशकों से माताओं को कंगारू देखभाल देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता रहा है। भावनात्मक व्यवहार के बेहतर असर को देखते हुए अब जैविक पिता और जन्म न देने वाले माता-पिता के लिए नवजात के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कंगारू देखभाल कैसे असर करता है? इसी विषय पर शोध कर रहीं साउथ आस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय में सहलेखक किउक्सिया डोंग ने पाया कि यह सिर्फ नवजात को ही भावनात्मक सुरक्षा का भाव प्रदान नहीं करता है बल्कि माता-पिता को भी प्रभावित करता है। उन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि " कंगारू केयर से पिता में तनाव कम होता है। साथ ही यह पिता व शिशु के बीच के बंधन को मजबूत करता है। पहली बार पिता बनने वालों पर जब अध्ययन किया गया तो पाया कि बच्चे के जन्म के दौरान उनमें कोर्टिसोल (तनाव उत्पन्न करने वाला हार्मोन) का स्तर काफी बढ़ जाता है। उन पिताओं के साथ जब नवजात का त्वचा से त्वचा का संपर्क स्थापित करवाया गया तो उनमें कोर्टिसोल की मात्रा घट गई। यही नहीं, उनका रक्तचाप भी नियंत्रित हो गया। साथ ही शारीरिक तनाव की प्रतिक्रियाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई।
किउक्सिया डोंग ने एडिलेड और ताइवान दोनों ही जगह नवजात गहन देखभाल इकाई (नियोनेटल केयर यूनिट) में 'एक बच्चे के पिता के अनुभवों की खोज' पर अध्ययन किया। अध्ययन में यह पाया गया कि जिन पिताओं का नवजात के साथ त्वचा से त्वचा संपर्क स्थापित किया। उनके बीच बेहतर संबंध व लगाव स्थापित हुआ। इससे पिता के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
अध्ययन में शामिल पिताओं में से एक ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा- जब बच्चे को मैंने सीने से लगाया तो वास्तव में भीतर से शांत महसूस करने लगा। मेरे दिमाग में हर वक्त कोई न कोई काम की बात हावी रहती है, लेकिन जब मैंने उसे गले लगाया मैं एकाएक शांत हो गया। भीतर से ही एक अनजानी खुशी महसूस होने लगी। बस मैं और मेरे बच्चे के बीच जैसे एक अनकहा संवाद शुरू हो गया। एक अन्य पिता ने कहा कि बच्चे को गले लगाते ही उसने पहले थोड़ा सा सिर हिलाया। मुझे लगता है कि मेरी गंध आते ही वह निश्चिंत हो गया और सो गया। यह अनुभव बहुत ही अच्छा है। मैंने यह भी महसूस किया कि यह पल हम दोनों के लिए ही बहुत आरामदायक था। हालांकि पिताओं के लिए यह प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण भी है क्योंकि यह समय लेने वाली प्रक्रिया है। ऐसे में यह हर वक्त संभव नहीं हो पाता है।
माता-पिता दोनों को शामिल करना : एक अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि जब कोई नवजात शिशु आता है तो पिता उस खुद को खुद को उस परिधि से बाहर महसूस करने लगता है। इस थैरेपी से पिता सहित सभी गैर-जन्म लेने वाले माता-पिता उससे जुड़ जाते हैं। अगर एक सीजेरियन जन्म के कारण मां के लिए थिएटर में रहते हुए कंगारू देखभाल करना मुश्किल हो जाता है, तो पिता या गैर-जन्म देने वाले माता-पिता ऐसा करने वाले अगले सबसे सटीक व्यक्ति होते हैं।
अधिक शोध की आवश्यकता: विभिन्न पृष्ठभूमि में शोध के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि इसमें और भी व्यापक शोध की आवश्यकता है। विशेष रूप से सांस्कृतिक रूप से विविध पृष्ठभूमि के पिता और अन्य गैर-जन्म लेने वाले माता-पिता के अनुभवों को देखना भी जरूरी है।
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