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यूनिसेफ की रिपोर्ट: पाकिस्तान में लगभग 3.3 मिलियन बच्चे श्रम करने के लिए है मजबूर

Deepa Sahu
29 July 2021 6:33 PM GMT
यूनिसेफ की रिपोर्ट: पाकिस्तान में लगभग 3.3 मिलियन बच्चे श्रम करने के लिए है मजबूर
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यूनिसेफ की रिपोर्ट

इस्लामाबाद, पाकिस्थान में बाल श्रम पर रोक है, मगर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में लगभग 3.3 मिलियन बच्चे श्रम करने के लिए मजबूर हैं। यूनिसेफ के अनुसार, पाकिस्तान में लगभग 3.3 मिलियन बच्चों को बाल श्रम से खतरा है जो उन्हें उनके बचपन, स्वास्थ्य और शिक्षा से वंचित करता है।

दुनिया न्यूज में एक ब्लॉग पोस्ट पर मेहमिल खालिद ने लिखा कि पाकिस्तान में बाल श्रम का खतरा पिछा नहीं छोड़ रहा है, जब्कि पाकिस्तान ने कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया हुआ है, साथ ही अपने नीतिगत ढांचे में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को शामिल किया है। पाकिस्तान में बच्चों के ऊपर शारीरिक, यौन, आर्थिक और भावनात्मक हिंसा होती है, जो पाकिस्तान में बच्चों की वृद्धि और विकास में निरंतर बाधा हैं। यहां पर बच्चे बहुत कम उम्र से ही परिवार को आर्थीक रूप से मदद करने के लिए कठोर घरेलू या औद्योगिक काम करने लगते हैं।
खालिद ने आगे लिखा है कि इस समय पाकिस्तान में गरीबी, बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच की कमी और अपंजीकृत जन्म के मुद्दे ऐसे है जो पाकिस्तान को सता रहे हैं। पांच साल से कम उम्र के केवल 34 प्रतिशत बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय पंजीकृत हैं। जन्म के पंजीकरण से बच्चों को उनका मौलिक अधिकार मिल सकता है। पंजीकरण बच्चे के अस्तित्व और पहचान का कानूनी प्रमाण देता है और उन्हें जल्दी विवाह जैसे अन्यायपूर्ण सामाजिक मानदंडों से बचाता है।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया था कि पाकिस्तान में 20 से 49 साल की एक चौथाई महिलाओं की शादी 15 वर्ष की आयु से पहले और 31 प्रतिशत 18 साल की उम्र से पहले कर दी गई थी।
दुन्या न्यूज ने बताया कि पाकिस्तान भी संयुक्त राष्ट्र बाल श्रम कानूनों का पालन करता हैं, मगर यहां पर छोटे बच्चों को घर के कामों के लिए काम पर रखना आम बात हो गई है, खासकर युवा लड़कियों को। यहां पर बच्चों को अपने माता-पिता की सोच बदले के लिए भारी भुगतान करना पड़ता हैं और कभी-कभी उन्हें रिश्वत देते हैं
पाकिस्तान सरकार ने रोजगार अधिनियम 1991 कानून को पास किया है, यह नियम 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखानों, कालीन उद्योगों और खानों जैसे असुरक्षित और खतरनाक जगहों पर काम करने पर रोक लगाता है।
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