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प्रायोजित युद्ध और उसके दुष्प्रचार के अलावा राष्ट्रीय, नस्ली या धार्मिक घृणा की वकालत से दूर रहने की मांग दोहराई गई है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में रूसी आक्रमण के कारण यूक्रेन में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति को लेकर लाए गए एक प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इस प्रस्ताव में यूएनएचआरसी ने दोनों देशों से सैन्य टकराव को तत्काल समाप्त करने की मांग दोहराई है। जिनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद का 34वां विशेष सत्र बृहस्पतिवार को इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के साथ संपन्न हुआ। 33 देशों ने जहां प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, वहीं चीन और इरिट्रिया ने इसका विरोध किया। वहीं, भारत, आर्मेनिया, बोलीविया, कैमरून, क्यूबा, कजाकिस्तान, नामीबिया, पाकिस्तान, सेनेगल, सूडान, उज्बेकिस्तान और वेनेजुएला सहित 12 देश मतदान से दूर रहे।
भारत ने यूएन में सभी मतदानों से किया है किनारा
जनवरी से लेकर अब तक भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन में रूसी अभियान की निंदा से संबधित विभिन्न प्रस्तावों पर मतदान में हिस्सा लेने से बचता आया है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्र मणि पांडे ने सत्र में कहा कि यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति स्पष्ट एवं स्थायी रही है।
भारत बोला- हम चिंतित, तुरंत खत्म हो हिंसा
पांडे के मुताबिक, हम यूक्रेन में सामने आ रहे घटनाक्रमों को लेकर बेहद चिंतित हैं। हमने दोनों देशों से हिंसा और दुश्मनी को तत्काल समाप्त करने का लगातार आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर चलना ही समस्या के समाधान का एकमात्र रास्ता है। परिषद ने जांच आयोग से फरवरी के अंत में कीव, चेर्निहाइव, खार्किव और सुमी में होने वाली घटनाओं को लेकर अपने नियम-कायदों और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप जांच करने का अनुरोध भी किया है।
यूक्रेन में सैन्य अभियान को खत्म करने की मांग
मौखिक रूप से पेश प्रस्ताव में मानवाधिकार परिषद ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य शत्रुता को तत्काल समाप्त करने, देश में किसी भी तरह के मानवाधिकार उल्लंघन एवं दमन को रोकने और किसी भी राष्ट्र द्वारा प्रायोजित युद्ध और उसके दुष्प्रचार के अलावा राष्ट्रीय, नस्ली या धार्मिक घृणा की वकालत से दूर रहने की मांग दोहराई गई है।
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