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भूकंप की आड़ लेकर अमेरिका से किया प्रतिबन्ध हटाने का अनुरोध, फ्रीज राशि पाने के लिए तालिबान का नया दांव

Gulabi Jagat
26 Jun 2022 4:15 PM GMT
भूकंप की आड़ लेकर अमेरिका से किया प्रतिबन्ध हटाने का अनुरोध, फ्रीज राशि पाने के लिए तालिबान का नया दांव
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अमेरिका से किया प्रतिबन्ध हटाने का अनुरोध
काबुल, एजेंसियां। अफगानिस्तान में भूकंप से हुई व्यापक तबाही का हवाला दे तालिबान ने अमेरिका से फ्रीज की गई अपने देश की राशि को जारी करने और वित्तीय प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया है। कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने शनिवार को कहा, 'इस परीक्षा की घड़ी में हम अमेरिका से अफगानिस्तान का फ्रीज कोष जारी करने और अफगान बैंकों से प्रतिबंध हटाने का आह्वान कर रहे हैं, ताकि एजेंसियां लोगों तक मदद पहुंचा सकें। ' संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सहायता संगठन तालिबानी अधिकारियों की मदद से दक्षिणी अफगानिस्तान के सबसे ज्यादा प्रभावित दो प्रांतों पक्टिका और खोस्त में परिवारों को सहायता उपलब्ध करा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन फरवरी में अफगानिस्तान की फ्रीज की गई नौ अरब डालर से ज्यादा की संपत्ति में से सात अरब डालर को मुक्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। हालांकि, यह राशि 9/11 हमले के पीड़तों व अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता के मद में इस्तेमाल हो सकेगी।
ब्रिटेन ने 25 लाख यूरो की सहायता दी
ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने तत्काल सहायता के रूप में 25 लाख यूरो मुहैया कराने की घोषषणा की है। एक बयान में कहा गया है कि वहां काम कर रही नार्वे की शरणार्थी परिषद को 5,00,000 यूरो दिया जाएगा। ईरान, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात और कतर ने भी मदद की है। संयुक्त राष्ट्र के उप विशेष प्रतिनिधि रामिज अलाकबारोव ने पक्तिका प्रांत का दौरा किया और वहां लोगों को भोजन, दवाएं और टेंट मुहैया कराया।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बीमारी फैलने की आशंका जताई
रायटर के अनुसार, अफगान स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि पूर्वी अफगानिस्तान में भूकंप से प्रभावित हजारों लोगों को स्वच्छ जल और भोजन की आवश्यकता है। इन लोगों के बीच बीमारी फैलने की आशंका है। बुधवार को दो दशकों में अपने सबसे घातक भूकंप की मार झेलने वाला अफगानिस्तान पहले से ही भुखमरी का सामना कर रहा है। लेकिन भूकंप ने उसकी हालत और खराब कर दी है। भूकंप से बचे लोग भोजन, पानी या आश्रय के बिना खुले मैदान में पड़े हैं। वे तबाह हुए सुदूर गांवों में सहायता के लिए इंतजार कर रहे हैं। जिसके चलते वहां के लोगों में महामारी फैलने की आशंका बढ़ गई है।
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