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उत्तर कोरिया में covid से बेकाबू हुए हालात, अमेरिका नहीं देगा वैक्सीन

Subhi
14 May 2022 4:08 AM GMT
उत्तर कोरिया में covid से बेकाबू हुए हालात, अमेरिका नहीं देगा वैक्सीन
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उत्तर कोरिया ने पहली बार माना है कि, देश में कोविड-19 संक्रमण ना सिर्फ अपने हाथ पैर पसार चुका है, बल्कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने उत्तर कोरिया की स्थिति को 'भीषण तबाही' करार दिया है।

उत्तर कोरिया ने पहली बार माना है कि, देश में कोविड-19 संक्रमण ना सिर्फ अपने हाथ पैर पसार चुका है, बल्कि उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने उत्तर कोरिया की स्थिति को 'भीषण तबाही' करार दिया है। उत्तर कोरिया में शुक्रवार को बुखार की वजह से 21 लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग कोरोना की चपेट में हैं। सबसे हैरानी की बात ये है, कि जिन लोगों की मौत बुखार की वजह से हुई है, अभी तक उत्तर कोरिया स्वास्थ्य विभाग ने उन मौतों को कोविड से होने वाली मौतों के तौर पर गिनना नहीं शुरू किया है। दूसरी तरफ, उत्तर कोरिया में अस्पतालों की स्थिति काफी ज्यादा खराब है, लिहाजा लोगों को इलाज नहीं मिल पा रही है। उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज मीडिया के मुताबिक, किम जोंग उन ने देश के हालात को 'भारी तबाही' करार दिया है। कोरोना से उत्तर कोरिया में तबाही उत्तर कोरिया के तानाशाह नेता किम जोंग उन ने देश में कोविड की स्थिति पर एक बैठक की है, जिसमें देश में वैक्सीनेशन को लेकर चर्चा की गई है। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया के मुताबिक, किम जोंग उन ने देश के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान उत्तर कोरिया की स्थिति को 'अत्यधिक विनाशकारी' करार दिया है और इस तबाही के मौके पर किम जोंग उन ने देश के लोगों से एकजुटता की अपील की है, ताकि जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य किया जा सके।

एक दिन में पौने दो लाख केस डेली मेल ने उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार के हवाले से रिपोर्ट दी है कि, सिर्फ शुक्रवार को उत्तर कोरिया में एक लाख 74 हजार 440 लोगों में कोविड जैसे लक्षण देखने को मिले हैं। वहीं, चूंकी उत्तर कोरिया में ना तो कोरोना टेस्ट करने के लिए संसाधन हैं और ना ही देश के अस्पतालों की व्यवस्था ही सही है, लिहाजा वैसे मरीज, जो आसानी से ठीक हो सकते हैं, उनका भी इलाज नहीं हो रहा है। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि, अप्रैल के आखिरी हफ्ते में कोविड संक्रमण देश में फैलना शुरू हुआ और अभी तक 5 लाख 24 हजार 440 लोगों में कोविड जैसे लक्षण देखने को मिले हैं, वहीं 27 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 21 लोगों की मौत सिर्फ शुक्रवार को ही हुई है। यानि, अब देश की स्थिति काफी तेजी से बिगड़ने लगी है। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि, देश में अभी 2 लाख 80 हजार 810 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है। इलाज की सही व्यवस्था नहीं उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजधानी प्योंगयोंग में जिन लोगों को बुखार है, उनमें से कई लोगों का कोविड टेस्ट किया गया है और वो कोविड पॉजिटिव भी पाए गये हैं। लेकिन, सरकारी अखबार ने ये नहीं बताया है कि, कितने लोगों का टेस्ट किया गया और कितने लोग कोविड संक्रमित पाए गये हैं। सबसे हैरानी की बात ये है, कि उत्तर कोरिया में आधिकारिक तौर पर कोविड से सिर्फ एक मौत होने की पुष्टि की गई है और बुधवार को पहली बार किम जोंग उन ने देश में कोविड फैलने की बात स्वीकार की थी। राजधानी प्योंगयोंग में लॉकडाउन लगाए गये हैं और राज्य की सरकारी मीडिया ने कहा है कि, देश में आपातकालीन स्तर पर महामारी रोकथाम के लिए कोशिश की जा रही है। उत्तर कोरिया में कड़े प्रतिबंध आपको बता दें कि, साल 2020 में जब कोविड महामारी का फैलना शुरू हुआ था, उसी वक्त से उत्तर कोरिया काफी कड़े प्रतिबंधों से गुजर रहा है और उसी वक्त देश की सीमा को पूरी तरह से सील कर दिया गया था। यहां तक की, उत्तर कोरिया ने चीन से लगती अपनी सीमा को भी पूरी तरह से सील किया हुआ है और उत्तर कोरिया ने हमेशा से दावा किया, कि देश में कोविड महामारी के कोई निशान नहीं मिले है। लेकिन, अब उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने कहा कि, 'एक बुखार जिसके कारण की पहचान नहीं की जा सकी, वह अप्रैल के अंत से पूरे देश में फैल गया है'। इसमें कहा गया, 'छह लोगों की मौत हो गई (उनमें से एक ने ओमिक्रॉन के बीए.2 सब वेरिएंट से पॉजिटिव था)। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि, उत्तर कोरिया के लिए कोविड संक्रमण को नियंत्रित करना काफी मुश्किल होगा, क्योंकि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था काफी ज्यादा खराब है। वहीं, पहली बार किम जोंग उन को टीवी पर मास्क पहने हुए देखा गया है और उन्होंने पूरे देश में लॉकडाउन का आदेश दे दिया है। कोविड से कैसे बचेगा उत्तर कोरिया? शुक्रवार को, केसीएनए ने कहा कि किम जोंग ने राज्य के आपातकालीन महामारी रोकथाम मुख्यालय का दौरा किया और 'कोविड -19 के राष्ट्रव्यापी प्रसार के बारे में रिपोर्ट हासिल की। केसीएनए ने कहा, "हमारी पार्टी के सामने तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की स्थिति को जल्द से जल्द बदलना सबसे महत्वपूर्ण चुनौती और सर्वोच्च कार्य है।" सेजोंग इंस्टीट्यूट के चेओंग सेओंग-चांग ने कहा कि, कोविड के आने के बाद भी 25 अप्रैल को राजधानी प्योंगयोंग में एक विशाल सैन्य परेड का आयोजन करने की वजह से कोविड वायरस विस्फोट हुआ है। वहीं, उन्होंने कहा कि, अगर उत्तर कोरिया में कोविड का ओमिक्रॉन वेरिएंट फैल रहा है, तो देश में अराजकता की स्थिति फैल सकती है और उत्तर कोरिया को फौरन अपने पड़ोसी देश चीन से मदद मांगनी पड़ सकती है। वहीं, चीन ही एकमात्र देश है, जो लगातार उत्तर कोरिया की मदद करता आया है, जो फिलहाल खुद कोविड संक्रमण से काफी परेशान है। हालांकि, बीजिंग की तरफ से गुरुवार को कहा गया है कि, वो उत्तर कोरिया की मदद के लिए तैयार है। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि, अभी चीन में जो हालात हैं, उसे देखकर काफी मुश्किल है, कि वो उत्तर कोरिया की कुछ खास मदद कर पाएगा। वैक्सीनेशन नहीं होने की वजह उत्तर कोरिया को पहले चीन के साथ साथ डब्ल्यूएचओ के कोवैक्स योजना से जुड़ने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उत्तर कोरिया ने डब्ल्यूएचओ के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उत्तर कोरिया में डब्ल्यूएचओ के एक प्रतिनिधि ने शुक्रवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने पिछले साल की शुरुआत में कोविड रिस्पॉंड प्लान विकसित करने में प्योंगयांग की मदद करने की कोशिश की थी। इसके साथ ही, दक्षिण कोरिया के नये राष्ट्रपति यूं सुक-योल के नए प्रशासन ने उत्तर को टीके भेजने की पेशकश की है, लेकिन अभी तक प्योंगयोंग के साथ इसपर चर्चा नहीं हो पाई है। किम ने शुक्रवार को कहा कि, प्रकोप 'दिखाता है कि महामारी की रोकथाम प्रणाली में एक कमजोर बिंदु है' और उन्होंने लॉकडाउन को और सख्त करने का आह्वान किया है। केसीएनए ने बताया कि, किम जोंग ने कहा कि जिन क्षेत्रों में कोविड का प्रकोप काफी ज्यादा है, उन क्षेत्रों के लोगं को क्वारंटाइन किया जा रहा है और उन क्षेत्रों की तरफ ज्याजा फोकस किया गया है। अस्पताल की जगह मिसाइल टेस्ट विश्लेषकों का कहना है कि, पिछले दो सालों में यह साबित हो चुका है, कि लॉकडाउन के जरिए कोविड के प्रसार को कुछ कम किया जा सकता है, ना की उसे पूरी तरह से रोका जा सकता है और अगर लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प होता, तो पिछले 6 महीने से चीन इतना संघर्ष नहीं करता, जहां की आधी आबादी अभी भी अत्यंत सख्त लॉकडाउन से गुजर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि, जैसे दुनिया के बाकी देशों ने कोविड को नियंत्रित किया है, उत्तर कोरिया को भी वही करना होगा, जिसमें तेजी से वैक्सीनेशन और एंटीवायरल इलाज शामिल है। वहीं, कई विशेषज्ञों का कहना है कि, उत्तर कोरिया अपना बजट का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ हथियार बनाने में खर्च करता है और अस्पतालों की दुर्दशा को सही करने की कोशिश कभी की ही नहीं गई है। पिछले दो हफ्ते में ही उत्तर कोरिया ने छोटी दूरी तक मार करने वाली तीन बैलिस्टिक मिसाइलों का परीश्रण किया है, लेकिन अस्पतालों की व्यवस्था सही करने की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। वहीं, उत्तर कोरिया ने हमेशा अमेरिका को ही आंख दिखाई है और पिछले महीने भी उत्तर कोरिया ने अमेरिका में बम गिरा देने की धमकी दी थी, लिहाजा अमेरिका ने कहा है कि, फिलहाल उत्तर कोरिया में वैक्सीन भेजने की उसकी कोई योजना नहीं है। ऐसे में देखना काफी अहम होगा, कि किम जोंग उन देश में फैले कोविड संकट को कैसे कंट्रोल करते हैं।

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