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यूएन बोला- श्रीलंका में 60 लाख से ज्यादा लोग खाद्य असुरक्षा के दायरे में, 10 में तीन घर भोजन के लिए जूझ रहे

Subhi
8 July 2022 12:47 AM GMT
यूएन बोला- श्रीलंका में 60 लाख से ज्यादा लोग खाद्य असुरक्षा के दायरे में, 10 में तीन घर भोजन के लिए जूझ रहे
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संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने आर्थिक संकट में घिरे श्रीलंका में खाद्य सुरक्षा हालात पर नया विश्लेषण पेश किया है। इसके मुताबिक देश में हर 10 में से तीन घर-परिवार अपने लिए भोजन का प्रबंध तक नहीं कर पा रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने आर्थिक संकट में घिरे श्रीलंका में खाद्य सुरक्षा हालात पर नया विश्लेषण पेश किया है। इसके मुताबिक देश में हर 10 में से तीन घर-परिवार अपने लिए भोजन का प्रबंध तक नहीं कर पा रहे हैं। इस तरह 60 लाख से ज्यादा श्रीलंकाई इस बात से अनिश्चित हैं कि उन्हें अगला भोजन मिलेगा भी या नहीं।

आंकड़ों की मानें तो खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति, आसमान छूती ईंधन की कीमतें और बड़े पैमाने पर वस्तुओं की कमी को देखते हुए लगभग 61 प्रतिशत परिवार नियमित रूप से लागत में कटौती करने का सामना कर रहे हैं। उन्होंने या तो भोजन की मात्रा कम करना शुरू कर दिया है अथवा तेजी कम पौष्टिक भोजन का सेवन कर रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य राहत एजेंसी का अनुमान है कि संगट गहराने पर और लोग भी ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए इन रणनीतियों को अपना सकते हैं। एक महिला ने बताया कि इन दिनों हमारे पास पर्याप्त भोजन नहीं होने के कारण हम सिर्फ चावल और ग्रेवी ही खा रहे हैं।

राजपक्षे ने पुतिन से मांगी तेल की मदद

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने कहा है कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से आर्थिक संकट में फंसे अपने देश में तेल आयात के लिए मदद मांगी है। राजपक्षे ने इस चर्चा को काफी सकारात्मक बताया। उन्हें रूस से उधार पर सस्ता तेल मिलने की उम्मीद है। इस बीच, श्रीलंका में लोगों ने बड़ी संख्या में राजधानी कोलंबो की सड़कों पर आकर विरोध दर्ज कराना जारी रखा है।

पासपोर्ट के लिए दो दिन से कतार में लगी महिला ने बेटी को दिया जन्म

श्रीलंका में एक महिला, जो विदेशों में रोजगार के लिए अपना देश छोड़ने के लिए पासपोर्ट हासिल करने के लिए दो दिनों से कतार में थी, उसे अपनी बारी का इंतजार करते हुए प्रसव पीड़ा हुई और उसने एक बेटी को वहीं जन्म दे दिया। अधिकारियों और सेना के लोगों ने जब उसे प्रसव पीड़ा में देखा तो कैसल अस्लताल पहुंचाया, जहां उसने बच्चे को जन्म दिया।


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