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दर्जनों कर्मचारियों को उतारा मौत के घाट
तालिबान (Taliban) की अगस्त में अफगानिस्तान (Afghanistan) में वापसी के बाद से अफगान सरकार (Afghan Government), उसके सुरक्षा बलों और अंतरराष्ट्रीय सैनिकों के साथ काम करने वाले 100 से अधिक पूर्व सदस्यों की हत्या की गई है. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव (UN Chief) एंटोनियो गुतारेस (Antonio Guterres) ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित रिपोर्ट में कहा कि पीड़ितों में से दो-तिहाई से अधिक कथित तौर पर तालिबान या उसके सहयोगियों द्वारा मारे गए थे.
रिपोर्ट में कहा गया, सरकार के पूर्व सदस्यों, सुरक्षा बलों और अंतरराष्ट्रीय सैन्य बलों के साथ काम करने वालों के लिए सामान्य माफी की घोषणा के बावजूद 'अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन' को लगातार पूर्व कर्मचारियों की हत्या, उनके गायब होने और अन्य उल्लंघनों के विश्वसनीय मामले मिलते रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र मिशन ने अस्थायी रूप से गिरफ्तारी, मार-पीट और डराने-धमकाने के 44 मामलों को रिपोर्ट किया है. इसमें से 42 तालिबान द्वारा किए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इसे ISIL-KP के साथ जुड़ाव के संदेह में कम से कम 50 लोगों की हिरासत में मौत की भी जानकारी मिली है.
पत्रकारों की भी की गई हत्या
तालिबान द्वारा तीन और ISIL-KP द्वारा तीन सहित आठ सिविल सोसाएटी एक्टिविस्ट की हत्याएं की गई हैं. ISIL-KP अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (Islamic State) की एक शाखा है. इसके अलावा, 10 को तालिबान द्वारा अस्थायी रूप से गिरफ्तार किया गया, उनकी पिटाई गई की गई और उन्हें धमकियां दी गईं. दो पत्रकारों की भी हत्या की गई है, जिसमें से एक ISKP के और दो अज्ञात हथियार बंद लोगों द्वारा की गई. तालिबान ने शुरू में पूर्व सरकार और अंतरराष्ट्रीय ताकतों से जुड़े लोगों के लिए सामान्य माफी और महिलाओं और जातीय अल्पसंख्यकों के प्रति सहिष्णुता और समावेश का वादा किया था.
डर और हत्याओं के बीच काम करने को मजबूर लोग
हालांकि, तालिबान के महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने और सिर्फ पुरुषों वाली कैबिनेट बनाने के बाद ये बात स्पष्ट हो गई है कि वे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की बातों को अनसुना कर रहा है. UN चीफ एंटोनियो गुतारेस ने कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ता और मीडियाकर्मियों को लगातार हमले, डर, उत्पीड़न, मनमानी गिरफ्तारी, दुर्व्यवहार और हत्याओं के बीच काम करने पर मजबूर होना पड़ा है. उन्होंने कहा कि तालिबान के कब्जे के छह महीने बाद भी अफगानिस्तान में स्थिति अनिश्चित बनी हुई है क्योंकि देश भर में कई राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक और मानवीय झटके गूंज रहे हैं.
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