x
म्यांमार में तख्तापलट के बाद से ही सैन्य सरकार प्रदर्शनकारियों को चुप कराने के लिए हर तरह का हिंसक तरीका अपना रही है.
India in United Nations on Myanmar Issue: म्यांमार में तख्तापलट (Myanmar Coup) के बाद से ही सैन्य सरकार (Myanmar Army) प्रदर्शनकारियों को चुप कराने के लिए हर तरह का हिंसक तरीका अपना रही है. इस बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) महासभा की बैठक में कहा कि म्यांमार में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल (Myanmar Democracy) करना सभी हितधारकों की प्राथमिकता होनी चाहिए और हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा किया जाना चाहिए. साथ में उसने (Myanmar and India) दक्षिण पूर्व एशियाई देश के नेतृत्व से 'शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके' से अपने मतभेदों को हल करने के लिए मिलजुलकर काम करने का आह्वान किया है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने म्यांमार की स्थिति पर महासभा की अनौपचारिक बैठक में शुक्रवार को ये बात कही है. म्यांमार में इस महीने के शुरू में सेना ने तख्तापलट कर दिया था. उन्होंने कहा, 'भारत म्यांमार के साथ जमीन और समुद्री सीमा (Myanmar and India Border) साझा करता है और उसका शांति और स्थिरता बनाए रखने में सीधा हित है. इसलिए म्यांमार के हालिया घटनाक्रम पर भारत करीब से निगाह रख रहा है. हम इस बात पर चिंतित हैं कि लोकतंत्र की दिशा में म्यांमार में पिछले दशकों में हासिल की गई बढ़त को कमतर नहीं किया जाना चाहिए.'
लोकतांत्रिक प्रक्रिया बरकरार रहे
तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत का मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए, हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाना चाहिए और शांति कायम रहनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'हम म्यांमार के नेतृत्व से आह्वान करते हैं कि वे अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से सुलझाने के लिए मिलकर काम करें.' एक फरवरी को सेना ने म्यांमार की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया था और सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. इसी के साथ स्टेट काउंसलर आंग सांग सू की (Aung San Suu Kyi), राष्ट्रपति यू विन मिन्त और अन्य शीर्ष राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था.
'लोगों को देना चाहिए समर्थन'
तिरुमूर्ति ने कहा, 'लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करना म्यांमार में सभी हितधारकों (Myanmar Border With India) की प्राथमिकता होनी चाहिए.' उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस महत्वपूर्ण मोड़ पर म्यांमार के लोगों को अपना रचनात्मक समर्थन देना चाहिए. इस बीच संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के राजदूत ने देश की सेना की अवहेलना करते हुए शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा से सैन्य तख्तापलट को खत्म करने में मदद के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की गुहार लगाई. के एम तुन बेदखल कर दी गई असैन्य सरकार के प्रति वफादार रहे हैं.
तख्तापलट की निंदा की गई
उन्होंने कहा कि वह एनएलडी नीत असैन्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. तुन ने तख्तापलट की निंदा की और सभी सदस्य राष्ट्रों और संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वे सैन्य तख्तापलट की निंदा करें और सैन्य शासन को किसी भी माध्यम से मान्यता ना दें (Myanmar News). उन्होंने तीन उंगलियों से सलाम किया जो सैन्य शासन के खिलाफ म्यांमार में प्रदर्शनकारी कर रहे हैं और कहा, 'हम उस सरकार के लिए लड़ाई जारी रखेंगे जो जनता की, जनता द्वारा और जनता के लिए हो.'
'लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को किनारे किया गया'
म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations on Myanmar) महासचिव की विशेष दूत क्रिस्टीन एस बर्गनर ने महासभा से सामूहिक रूप से म्यांमार में लोकतंत्र के समर्थन में एक स्पष्ट संकेत भेजने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'इस समय, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को किनारे कर दिया गया है, स्टेट काउंसेलर और संघीय गणराज्य के राष्ट्रपति सहित निर्वाचित नेताओं को हिरासत में रखा गया है.' म्यांमार के रखाइन राज्य में विस्थापित लोगों के मुद्दे पर अपने संबोधन में तिरूमूर्ति ने कहा कि विस्थापित लोगों की देश वापसी के मुद्दे को हल करने में भारत का सबसे ज्यादा हित है, क्योंकि वह एकमात्र ऐसा देश है जिसकी बांग्लादेश और म्यांमार, दोनों के साथ एक लंबी सरहद है.
Gulabi
Next Story