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UN: भारत ने पाकिस्तान को फिर फटकारा, कहा- आतंकियों को पालना बंद करें

Gulabi
2 March 2021 12:35 PM GMT
UN: भारत ने पाकिस्तान को फिर फटकारा, कहा- आतंकियों को पालना बंद करें
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भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को लताड़ लगाई

भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में पाकिस्तान (Pakistan) को लताड़ लगाई है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UN Human Right Council) में पाकिस्तान को लताड़ते हुए भारत ने कहा, पड़ोसी मुल्क को आतंकियों को पालना और अपने मुल्क में अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढाना बंद करना चाहिए. आर्थिक बदहाली का सामना कर रहे पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने एक बार फिर ग्रे लिस्ट में रखा है.

मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में राइट टू रिप्लाई का प्रयोग करते हुए भारत ने पाकिस्तान प्रतिनिधि को मुंहतोड़ जबाव दिया. भारत ने पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि इस्लामाबाद (Islamabad) जानबूझकर इस मंच का इस्तेमाल नई दिल्ली के खिलाफ अपने दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार को फैलाने के लिए करता है. जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव पवनकुमार बाधे ने कहा, आर्थिक बदहाली का सामना करने वाले पाकिस्तान को परिषद और उसके तंत्र के समय के बर्बाद करना बंद चाहिए.
आतंकियों को पेंशन देता है पाकिस्तान
पवनकुमार बाधे (Pawankumar Badhe) ने कहा, पाकिस्तान को राज्य द्वारा प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को रोकना चाहिए. साथ ही अपने अल्पसंख्यक एवं अन्य समुदाय के खिलाफ मानवाधिकारों के संस्थागत उल्लंघन को समाप्त करना चाहिए. उन्होंने कहा, परिषद के सदस्यों को बखूबी मालूम है कि पाकिस्तान खूंखार और UN की प्रतिबंधित सूची में शामिल आतंकियों को पेंशन प्रदान करता है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों को बड़ी संख्या में अपने यहां फलने-फूलने का मौका देता है.
आतंकवाद का समर्थन मानव अधिकारों का सबसे बुरा हनन
भारतीय राजनयिक ने इस बात को दोहराया कि पाकिस्तानी नेताओं ने तब ने इस बात को स्वीकार किया है कि देश आतंकियों को पैदा करने वाली फैक्ट्री बन चुका है. राजनयिक ने आगे कहा, पाकिस्तान ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया है कि आतंकवाद मानवाधिकारों के हनन का सबसे खराब रूप है. आतंकवाद के समर्थक मानव अधिकारों का सबसे बुरा हनन करते हैं. बाधे ने कहा कि परिषद को पाकिस्तान से पूछना चाहिए कि ईसाई, हिंदू और सिख जैसे अल्पसंख्यक समुदायों का आकार आजादी के बाद से क्यों कम हो गया है. क्यों पाकिस्तान में अहमदिया, शिया, पश्तून, सिंधी और बलूच लोगों को ईश निंदा के कानूनों का सामना करना पड़ता है.


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