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हम अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन मौजूदा हालात असामान्य हैं।
कोरोना महामारी के साथ तालिबानी हिंसा की चपेट में आए अफगानिस्तान में अब अराजकता चरम पर पहुंच गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की ओर से भी देश को मदद मिलने में भी बाधा आ रही है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की खाद्य एजेंसी (Food Agency) के अनुसार यहां 1 करोड़ 40 लाख लोग भुखमरी के कगार पर हैं। हालात ये हैं कि संयुक्त राष्ट्र व अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए काम करने वाले लोगों की सुरक्षा को भी गंभीर खतरा हो गया है। संयुक्त राष्ट्र ने अपने 100 कर्मचारियों को सुरक्षित निकालकर कजाखस्तान भेज दिया है।
विश्व खाद्य योजना (डब्ल्यूएफपी) की कंट्री डायरेक्टर मेरी एलन मैकग्रोट्री (Mary Ellen McGroarty) ने एपी को काबुल से बताया कि अफगानिस्तान में चल रहे संघर्ष के दौरान यहां पर सबसे बड़ी दिक्कत जरूरतमंदों की सहायता करने में आ रही है। यही नहीं तीन साल में दूसरी बार अफगानिस्तान फिर अकाल और सूखे का सामना कर रहा है। इस समस्या को हिंसा व कोरोना महामारी ने और बढ़ा दिया है। चालीस फीसद फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। हजारों पशु मर गए हैं। हिंसा की स्थिति में मदद के रास्ते भी बंद हो रहे हैं। प्रेट्र के अनुसार, अफगानिस्तान में अराजकता के आलम के बीच संयुक्त राष्ट्र ने बड़ा फैसला लिया है। उसने यहां काम कर रहे अपने 100 कर्मचारियों को हालात बिगड़ने के बाद सुरक्षित निकालकर कजाखस्तान भेज दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने पत्रकारों को बताया कि संयुक्त राष्ट्र के 100 कर्मचारियों को काबुल से अल्माटी भेजा गया है। जैसे ही अफगानिस्तान में स्थिति सामान्य होगी, ये कर्मचारी वापस लौट जाएंगे। फिलहाल ये सभी दूर से ही अपना काम जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की वापसी वहां की स्थिति पर निर्भर रहेगी। हम अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन मौजूदा हालात असामान्य हैं।
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