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अत्याधुनिक हथियारों से लैस रूसी सैनिकों का 12 दिनों से मुकाबला कर रही यूक्रेनी सेना शुरुआत में ही समझ चुकी थी
कीव, न्यूयार्क टाइम्स। अत्याधुनिक हथियारों से लैस रूसी सैनिकों का 12 दिनों से मुकाबला कर रही यूक्रेनी सेना शुरुआत में ही समझ चुकी थी कि आमने-सामने की लड़ाई उसके लिए मुश्किल होगी। इसलिए, उसने 'गुरिल्ला युद्ध' लड़ने का फैसला किया। छोटी-छोटी टुकडि़यों में घात लगाकर हमला करने की रणनीति अपनाई, जो रूसी सेना के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रही है। यूक्रेनियों के 'गुरिल्ला हमलों' में रूसी बख्तरबंद गाडि़यां और टैंक नष्ट हो जा रहे हैं और सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ रहा है।
यूक्रेन की समाचार एजेंसी के सम्मेलन कक्ष में शानिवार को आत्मसमर्पण करने वाले ऐसे ही करीब दर्जनभर रूसी सैनिक ने अपनी टीम पर हुए घातक हमले का ब्योरा साझा किया। रूसी टैंक यूनिट की तरफ से लड़ रहे लेफ्टिनेंट दिमित्री कोवालेंस्की ने यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में कहा, 'पूर्वोत्तर यूक्रेन के सुमी से हमारा काफिला गुजर रहा था। तभी सैन्य ड्रोन व कंधे के जरिये छोड़ी जाने वाली एंटी टैंक मिसाइल से हम पर हमला हो गया और हमारा पूरा काफिला जल गया।'
कोवालेंस्की व अन्य सैनिकों को यूक्रेन तथा पश्चिमी देशों के दावों की पुष्टि के लिए प्रेस कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया गया था। इससे जाहिर होता है कि रूस को काफी नुकसान हो रहा है, लेकिन पश्चिमी सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि रूसी सैन्य बल और बड़ी संख्या में अत्याधुनिक हथियारों की उपलब्धता स्थितियों में बड़ा बदलाव ला सकती है।
अलग है रूस व यूक्रेन के युद्ध का तरीका : रूस ने यूक्रेन के कई मोर्चो पर एकसाथ बड़ा हमला बोला है। उसके सैनिकों व सैन्य वाहनों का काफिला काफी लंबा होता है। दूसरी तरफ, यूक्रेन के लेफ्टिनेंट येवगेनी यारंतसेव कहते हैं, 'हमारे सैनिक रूस से अलग तरीके से लड़ रहे हैं। हम सैनिकों की छोटी और फुर्तीली इकाइयां बना रहे हैं, जो रूसी टैंकों के लंबे काफिले पर घात लगाकर हमला करती हैं।' पूर्वी यूक्रेन में रूस के खिलाफ पहले भी लड़ चुके यारंतसेव कहते हैं, 'उनके पास बड़ी संख्या में टैंक उपलब्ध हैं और हमारे पास एंटी टैंक हथियार। खुले मैदान में मुकाबला फिर भी समान होता, लेकिन शहर में लड़ाई आसान होती है।'
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