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जंग के बीच यूक्रेन को मिला धोखा, EU-US ने भी संकट में छोड़ा हाथ

Neha Dani
26 Feb 2022 7:59 AM GMT
जंग के बीच यूक्रेन को मिला धोखा, EU-US ने भी संकट में छोड़ा हाथ
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रूस-यूक्रेन जंग (Russia Ukraine War) एक भयानक मोड़ पर पहुंच गई है. यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूस लगातार हमला कर रहा है. अलग-अलग स्थानों पर दोनों देशों के सैनिक आपस में लड़ रहे हैं. जिसमें हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. जब बीती रात सब सो रहे थे, तब रूस अन्य यूक्रेनी शहरों सहित कीव पर घातक मिसाइल हमले (Missile Attacks) कर रहा था. लोग जान बचाने के लिए लहू लुहान हुए इधर उधर भाग रहे हैं. खुद यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा है कि इससे पहले राजधानी (Capital Kyiv) में ऐसे हालात 1941 में देखे गए थे, जब दूसरे विश्व युद्ध के समय नाजी जर्मनी ने हमला किया था. कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन ने तब भी बुराई को हराया था और इस बार भी हराएगा. पुतिन को रोकें.

इस खतरनाक वक्त में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की हताश नजर आ रहे हैं. वो लगातार ट्वीट्स कर और इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट कर सैनिकों और आम नागरिकों को हिम्मत से युद्ध का सामना करने को बोल रहे हैं. उनका कहना है कि यूक्रेन लड़ता रहेगा, हार नहीं मानेगा. एक वीडियो में उन्होंने कहा, 'दुश्मनों ने मुझे अपने पहले टार्गेट के तौर पर चुना है, जबकि दूसरा टार्गेट मेरा परिवार है.' उन्होंने 18-60 साल तक के यूक्रेन के पुरुषों के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही कहा है कि सभी को अपने देश की रक्षा करनी चाहिए, जो कोई भी लड़ाई में शामिल होना चाहता है, उसे सरकार की तरफ से हथियार दिए जाएंगे.
सेना और आम नागरिक बन रहे निशाना
एक अन्य वीडियो में उन्होंने कहा कि रूस पूरे यूक्रेन पर हमला कर सेना और आम नागरिकों को निशाना बना रहा है. इस दौरान उन्होंने नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन), ईयू (यूरोपीय संघ) और अमेरिका से मिले धोखे का जिक्र किया. वही अमेरिका जो बीते कई महीनों से बोलता रहा कि यूक्रेन की मदद की जाएगी. वो बार-बार यूक्रेन सीमा पर लाखों रूसी सैनिकों की तैनाती की जानकारी देकर कहता रहा कि ये किसी भी दिन हमला कर देंगे. बावजूद इसके यूक्रेन की रक्षा के लिए हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा. एक तरह से कहें, तो पश्चिमी देश सिर्फ जुबान चलाते रहे, जब युद्ध हुआ तो यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया गया.
अकेले कर रहे अपने देश की रक्षा- जेलेंस्की
जेलेंस्की ने लगातार हो रहे हमलों के बीच शुक्रवार को एक वीडियो में कहा, 'आज सुबह हम अपने देश की रक्षा अकेले कर रहे हैं. बिलकुल कल की तरह, दुनिया की सबसे ताकतवर ताकतें दूर से देख रही हैं. क्या कल के प्रतिबंध रूस को मना पाए हैं? हम अपने आसमान और धरती पर देख रहे हैं कि यह काफी नहीं है.' जेलेंस्की ने यूक्रेन की सहायता नहीं करने को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना की और कहा कि उनके देश (यूक्रेन) को रूस से लड़ने के लिए 'अकेला छोड़' दिया गया है. उन्होंने कहा, 'कौन हमारे साथ लड़ने के लिए तैयार है? मुझे कोई नहीं दिख रहा.'
नाटो पर यूक्रेन को धोखा देने का आरोप
यूक्रेनियन और कुछ अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने नाटो पर यूक्रेन को धोखा देने का आरोप लगाया है. जिसके कारण संकट तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे ही एक पर्यवेक्षक ने कहा कि पश्चिमी देश वर्तमान में हताश हैं और कायरतापूर्ण व्यवहार कर रहे हैं. यूक्रेन के लिए खड़ा होने के बजाय वो केवल अपने व्यापक मीडिया हथियारों का इस्तेमाल करके प्रोपेगैंडा का सहारा ले रहे हैं. एक अन्य यूक्रेनी विश्लेषक ने कहा कि उनके देश ने दुनिया से एयर कवर के लिए भीख मांगी थी, लेकिन यह कभी नहीं मिली. उन्हें केवल वादे मिले जो कभी पूरे नहीं हुए.
व्लादिमीर पुतिन को भी धोखा दिया गया
एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि नाटो ने एक तरह से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी धोखा दिया है और वही यूक्रेन संकट का कारण बना है. उन्होंने कहा, '1990 में नाटो ने पूर्वी यूरोप में रूस के प्रभाव क्षेत्र में कभी प्रवेश नहीं करने का वादा किया था. तब से रूस के पड़ोसियों सहित 14 यूरोपीय राष्ट्रों को शामिल करने के लिए इस गठबंधन का विस्तार हुआ है.' उन्होंने बताया कि कैसे इतने साल पहले रूस यूक्रेन और पूर्वी यूरोप के कुछ अन्य देश सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) के संघ के तहत "भाई-बहन" की तरह थे, जिसमें रूस बड़े भाई की भूमिका निभा रहा था.
रूस ने खुद को लगातार ताकतवर बनाया
26 दिसंबर, 1991 को यूएसएसआर के विघटन के बाद आर्मर कार, ड्रोन, परमाणु हथियार, जैविक हथियार सभी पूर्व सोवियत संघ के सदस्यों के बीच साझा किए गए थे, जिसमें रूस ने उन सभी का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त किया था. साल दर साल रूस अपने परमाणु हथियारों के विकास के साथ आगे बढ़ता गया और इतना बड़ा हो गया कि इसे दुनिया के दूसरे सबसे शक्तिशाली देश के रूप में दर्जा दिया गया. लेकिन अब बेलारूस को छोड़कर कोई भी रूस से प्यार नहीं करता है. वो इन देशों को धमका रहा था, जिसके कारण इन्होंने दूसरे पाले में जाना शुरू किया, जैसे अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के करीब.
पूर्व सोवियत देशों पर दादागिरी दिखाना चाह रहा रूस
यही वजह है कि रूस एक बार फिर पूर्व सोवियत देशों पर दादागिरी दिखाना चाह रहा है. वो उन्हें अपने हिसाब से चलाने की कोशिश में है. लेकिन ये देश अब स्वतंत्र हैं और रूस की मर्जी से नहीं चलना चाहते. अपनी सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए ही यूक्रेन ने नाटो से जुड़ने का फैसला लिया था. जो अमेरिका के नेतृत्व वाला 30 देशों का सैन्य गठबंधन है. यानी इसका सबसे ताकतवर सदस्य अमेरिका है. इनका नियम है कि एक देश पर हमले को सभी देशों पर हमला माना जाएगा और सभी हमला करने वाले दुश्मन का मिलकर मुकाबला करेंगे. इसी वजह से यूक्रेन भी नाटो में शामिल होना चाहता है.
रूस क्यों नहीं चाहता यूक्रेन नाटो में जाए?
रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन इसका सदस्य बने. रूस का ऐसा मानना है कि अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाता है, जो उसका सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिका वहां अपने हथियार और जासूसी करने वाले उपकरणों को तैनात कर उसपर नजर रख सकता है. नाटो, अमेरिका और ईयू के बर्ताव को देखकर ऐसा कहा जा रहा है कि या तो दोस्त ही मत बनाओ और अगर बनाओ तो वो कायर ना हो. यह एक चेस के खेल की तरह है. जिसमें राष्ट्रपति जेलेंस्की को कोई नुकसान नहीं होगा, उन्हें या तो पकड़ लिया जाएगा या फिर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जाएगा.
जेलेंस्की ने नाटो पर दिखाया था भरोसा
वो जेलेंस्की ही थे, जो बार-बार नाटो में शामिल होने की बात करते रहे. नाटो देश भी खूब बखान करते रहे कि वो यूक्रेन का साथ देंगे. लेकिन जब भी सदस्यता देने की बात आती, तो उसे एक तरह से टाल दिया जाता. इसके पीछे अमेरिका भी जिम्मेदार है. 2019 में राष्ट्रपति बनने के बाद से जेलेंस्की बोलते रहे कि वह यूक्रेन को नाटो में शामिल करना चाहते हैं. उन्होंने पश्चिमी देशों के साथ भी रिश्तों को गहरा किया. लेकिन जब साथ देने की बात आई, तो कोई आगे नहीं आया. सभी ने रूस पर केवल प्रतिबंध लगाए. अमेरिका ने अपनी सेना भेजने से इनकार कर दिया. नाटो ने क्षेत्र के दूसरे देशों में सैनिकों को तैनाती के लिए भेजा. और यूक्रेन की केवल आर्थिक तौर पर और हथियारों से मदद करने की बात कही. इनके बर्ताव से यूक्रेन को बहुत बड़ा झटका जरूर लगा है.
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