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उज्जवल निकम : नए कानून से दाऊद इब्राहिम समेत सभी भगोड़ों पर नकेल कसने में मिलेगी मदद

Tara Tandi
12 Aug 2023 10:18 AM GMT
उज्जवल निकम : नए कानून से दाऊद इब्राहिम समेत सभी भगोड़ों पर नकेल कसने में मिलेगी मदद
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उज्जवल निकम : नए कानून से दाऊद इब्राहिम समेत सभी भगोड़ों पर नकेल कसने में मिलेगी मदद''

देश के गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में शुक्रवार को तीन नए कानून का बिल पेश किया, जिसमें एक के मुताबिक अपराध कर विदेशों में छिपे अपराधियों पर भी अब भारत में मुकदमा चलेगा और उन्हें सजा भी सुनाई जाएगी.
देश में कानूनों के इस बदलाव को लेकर बहस शुरू हो गई है. लेकिन विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम ने इस कानून का स्वागत किया है. विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा कि इससे दाऊद इब्राहिम समेत विदेशों में छिपे बैठे सभी भगोड़ों का स्टेटस बदल जाएगा और उन्हे भारत लाने मे मदद मिलेगी.
संशोधित कानूनों में अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों, अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों पर एक नया अपराध जोड़ा गया है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, "देशद्रोह कानून निरस्त कर दिया गया है..." प्रस्तावित कानून में 'देशद्रोह' शब्द नहीं है, जिसे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए धारा 150 द्वारा बदल दिया गया है.
प्रस्ताव के मुताबिक, "कोई भी, इरादतन या जान-बूझकर, बोले या लिखे गए शब्दों से, या संकेतों से, या कुछ दिखाकर, या इलेक्ट्रॉनिक संदेश से या वित्तीय साधनों के उपयोग से, या अन्यथा, अलगाव को या सशस्त्र विद्रोह को या विध्वंसक गतिविधियों को, या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को उकसाता है या उकसाने का प्रयास करता है, या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है, या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या करता है, उसे आजीवन कारावास या कारावास की सज़ा दी जाएगी, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है..."
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार मॉब लिंचिंग के मामलों में मौत की सज़ा का प्रावधान भी लागू करेगी.
नया बिल महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या और 'राज्य के खिलाफ अपराध' के कानूनों को प्राथमिकता देता है.
पहली बार छोटे-मोटे अपराधों के लिए दी जाने वाली सज़ाओं में सामुदायिक सेवा को भी शामिल किया गया है.
इसके साथ ही अपराधों को लिंग-तटस्थ (gender-neutral) बनाया गया है. संगठित अपराधों और आतंकवादी गतिविधियों की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आतंकवादी कृत्य और संगठित अपराध को नए अपराधों के रूप में सज़ाओं के साथ शामिल किया गया है.
बहुत-से अपराधों के लिए जुर्माना और सज़ा बढ़ाई गई है. अमित शाह ने संसद को बताया कि इसका उद्देश्य ब्रिटिश काल के कानूनों में सुधार करना है.
अमित शाह ने कहा, "जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा... उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उन्हें मज़बूत करना था, उनका विचार दंड देना था, न्याय देना नहीं... उन्हें बदलकर लाए जा रहे नए तीन कानून भारतीय नागरिक के अधिकार की रक्षा करने की भावना लाएंगे..."
उन्होंने कहा, "इनका लक्ष्य सज़ा देना नहीं, न्याय दिलाना होगा... अपराध रोकने की भावना पैदा करने के लिए सज़ा दी जाएगी..." नए बिलों में मौत की सज़ा को बरकरार रखा गया है.
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