रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने इस कदम के पीछे वैश्विक व्यापार प्रवाह में रुकावट का हवाला दिया है, लेकिन ये भी बताया कि भारत ने घरेलू खपत के लिए संयुक्त अरब अमीरात को गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी थी.
भारत ने 14 मई को गेहूूं के निर्यात पर लगाया था प्रतिबंध
बता दें कि भारत ने 14 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि इस प्रतिबंध से उन देशों को बाहर रखा गया था जिन्हें पहले से साख पत्र (एलसी) द्वारा समर्थित किया गया था या फिर जिन देशों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गेहूं देना जरूरी था. इस प्रतिबंध के बाद से भारत ने 469,202 टन गेहूं के शिपमेंट की अनुमति दी है.
भारत और यूएई के बीच फरवरी में हुआ था व्यापक समझौता
एक बयान में कहा गया है कि 13 मई से पहले यूएई में लाए गए भारतीय गेहूं का निर्यात या पुन:निर्यात करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों को पहले अर्थव्यवस्था मंत्रालय में आवेदन करना होगा. बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात और भारत ने फरवरी में एक व्यापक व्यापार और निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत दोनों एक-दूसरे के सामानों पर सभी शुल्कों में कटौती करना चाहते हैं और पांच वर्षों के अंदर अपने वार्षिक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं. व्यापक आर्थिक भागीदारी व्यापार समझौते (सीईपीए) के रूप में जाना जाने वाला यह समझौता 1 मई से प्रभावी हुआ था.
इसलिए दुनियाभर में बना है गेहूं का संकट
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अभी पूरी दुनिया में गेहूं का संकट उत्पन्न हो गया है. वो देश जहां रूस और यूक्रेन से गेहूं जाता था, अभी उन देशों को ये सप्लाई नहीं मिल पा रही है. कई देशों ने भारत से मदद मांगी थी. भारत ने बीच में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था.