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चीनी सेना की घुसपैठ के 2 साल बाद भी लद्दाख की गलवान घाटी में गतिरोध जारी, अब भी पूरी तरह पीछे नहीं हटे सैनिक
Renuka Sahu
5 May 2022 6:13 AM GMT
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फाइल फोटो
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने दो साल पहले 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में स्थित गलवान घाटी में घुसपैठ की थी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन (China) की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों ने दो साल पहले 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में स्थित गलवान घाटी (Galwan Valley) में घुसपैठ की थी. इसके बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच गतिरोध बना हुआ है. ऐसा कोंगका ला क्षेत्र से सैनिकों की पूरी तरह वापसी और डेपसांग व डेमचोक में गश्ती समेत अनसुलझे मुद्दों को लेकर भी है. एलएसी के कुछ इलाकों से चीनी सैनिक अब भी पूरी तरह पीछे नहीं हटे हैं.
गलवान घाटी का मामला तब और बढ़ गया था जब वहां चीन के सैनिकों ने भारतीय जवानों पर हथियारों से हमला कर दिया था. इस दौरान भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था. अब तक भारतीय और चीनी वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच अनसुलझे सीमा विवाद पर अप्रैल 2020 की यथास्थिति को बहाल करने के लिए कम से कम 15 दौर की बैठकें हो चुकी हैं. चीनी सेना अब भी कोंगका ला क्षेत्र में मौजूद है. इसे सैन्य नक्शे पर पैट्रोलिंग प्वाइंट 15 के रूप में दिखाया गया है. गलवान के बाद चीनी सेना ने 17-18 मई को कुगरांग नदी, श्योक नदी की एक सहायक नदी, गोगरा और पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे के क्षेत्रों में घुसपैठ की थी.
कोंगका क्षेत्र से चीनी सेना के पीछे हटने का इंतजार
हालांकि दोनों सेनाएं पैंगोंग लेक, गलवान और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से पीछे हटने में सक्षम हैं, पर चीनी सेना को अभी भी कोंगका ला क्षेत्र से पीछे हटना है. यह क्षेत्र एलएसी पर 1959 लाइन के अनुसार चीनी सीमा के दावों को परिभाषित करता है. चीनी सैनिक जुलाई 2020 में 15 जून की झड़पों के बाद गलवान घाटी से पीछे हट गए थे. जहां भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे. भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को भी मुंहतोड़ जवाब दिया था और उनकी ओर से भी बड़ी संख्या में मौतें दर्ज की गई थीं.
कुछ क्षेत्रों से हुई है सैनिकों की वापसी
29 से 31 अगस्त, 2020 के बीच पैंगोंग लेक के दक्षिणी तट पर भारतीय सेना की ओर से की गई एक कार्रवाई के बाद फरवरी 2021 में पैंगोंग लेक के उत्तरी तट से सैनिक पीछे हटे. भारतीय सेना और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स झील के दक्षिणी किनारे के ऊंचाइयों पर कब्जा जमा लिया था. इससे चीन की स्थिति कमजोर हो गई थी. अगर भारतीय सेना ने यह कार्रवाई ना की होती तो चीन पैंगोंग झील के उत्तरी किनारों से वापसी को लेकर पीछे हट जाता. वहीं चांग चेमो नदी की गोगरा पोस्ट से सैनिकों की वापसी अगस्त 2021 में हुई थी.
यूक्रेन युद्ध का फायदा उठा सकता है चीन
भले ही दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर काफी हद तक पीछे हट गए हों, लेकिन इस क्षेत्र में सैनिकों की कोई कमी नहीं हुई है, दोनों सेनाएं बख्तरबंद वाहन, रॉकेट, तोपखाने और मिसाइल के साथ पूरी ताकत से मौजूद हैं. भारतीय सेना भी पूरी तरह से अलर्ट है. क्योंकि खुफिया तौर पर ऐसे संकेत मिले हैं कि चीन यूक्रेन युद्ध का फायदा उठाकर एलएसी पर नए क्षेत्रों में घुसपैठ कर सकता है. मोदी सरकार की ओर से सख्त निर्देश हैं कि एलएसी पर किसी भी तरह की चीनी कार्रवाई पर नजर रखनी है और अपने एक इंच क्षेत्र को छोड़े बिना जवाब दिया जाना चाहिए.
गलवान घाटी और पैंगोंग झील इलाकों में शांति है. लेकिन चीनी सेना पैंगोंग झील के अपने हिस्से में नया पुल बना रही है ताकि सेना की आवाजाही और रसद आपूर्ति लगातार बनी रहे. इस कदम को लेकर भारतीय सेना पूरी तरह से अलर्ट है.
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