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भारत का 1947 में जब बंटवारा हुआ तो सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि कई घर, कई परिवार, कई रिश्ते और कई लोगों के अपने भी बंट गए
भारत (India) का 1947 में जब बंटवारा हुआ तो सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि कई घर, कई परिवार, कई रिश्ते और कई लोगों के अपने भी बंट गए. इनमें से कुछ तो समय-समय पर अपनों से मिल आए, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए अपनों से मिलना सपना बनकर रह गया और वे अपनों से मिलने के लिए अब भी बेचैन रहते हैं. कुछ ऐसी ही बेचैनी थी पाकिस्तान (Pakistan) में रहने वाले सिद्दीक और भारत में रहने वाले हबीब उर्फ शेला में. ये दोनों भाई पिछले दिनों 74 साल बाद एक-दूसरे से मिले तो फूट-फूट कर रोए. दोनों के मिलने का एक वीडियो (Video) सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो रहा है, जो हर किसी को भावुक कर रहा है. आइए जानते हैं पूरा मामला.
1947 में बिछड़ गए थे दोनों
रिपोर्ट के मुताबिक, 1947 में बंटवारे (India-Pakistan Partition) के दौरान हबीब और सिद्दीक एक दूसरे से अलग हो गए थे. ये दोनों भाई उस वक्त बच्चे थे. सिद्दीक तब अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे, जबकि उनके बड़े भाई हबीब उर्फ शेला भारत में ही रह गए थे. अब 74 साल
Emotions run high and tears wouldn't stop from the eyes of septuagenarian brothers who were divided during Indo Pak partition but reunited at Kartarpur Sahib after 74 years.
— Ravinder Singh Robin ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ رویندرسنگھ روبن (@rsrobin1) January 12, 2022
While keeping aside their bilateral differences India Pakistan have opened #KartarpurCorridor onNov 9,2019 pic.twitter.com/oIO1cSspcM
बाद दोनों पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब (Gurudwara Darbaar Sahib) को भारत से जोड़ने वाले करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Coridor) की वजह से मिल सके.
वीडियो देख लोग हो रहे इमोशनल
दोनों जब इस कॉरिडोर में मिले तो एक-दूसरे को गले लगाकर खूब रोए. उन दोनों को देखकर वहां मौजूद दूसरे लोग भी भावुक हो गए. सोशल मीडिया यूजर्स भी वीडियो देखकर इमोशनल हो जा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक सिद्दीक पाकिस्तान के फैसलाबाद में रहते हैं, जबकि शेला भारत के पंजाब में रहते हैं. हबीब, सिद्दीक से दो साल छोटे हैं और बंटवारे के वक्त वह अपनी मां के साथ फुलेवाला गए थे. जबकि उसी दौरान इनके बठिंडा स्थित पैतृक गांव पर भीड़ द्वारा हिंसक हमलों के कारण सिद्दीक और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को पाकिस्तान भागना पड़ा था. लंबे समय बाद किसी तरह दोनों को एक-दूसरे के बारे में पता चला. काफी जद्दोजहद के बाद इनकी मुलाकात करतारपुर कॉरिडोर में हुई.
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