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तुर्की का आरोप है कि ग्रीस इस द्वीप पर सेना और हथियार तैनात कर चुका है।
अंकारा: यूक्रेन जंग में दुनिया को फंसा देख तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान को ग्रीस को डराने का मौका मिला गया है। 'खलीफा' एर्दोगन ने धमकी दी है कि अगर ग्रीस ने ऐगेआन द्वीप समूह का सैन्यीकरण जारी रखना बंद नहीं किया तो उन्हें इसके लिए 'पछताना' होगा। एर्दोगन ने ग्रीक भाषा में कई ट्वीट करके कहा कि हम एक बार फिर से ग्रीस को चेतावनी देना चाहते हैं कि वे समझदार बनें और उन सपनों, नारों और कदमों से दूर रहें जिसके फलस्वरूप उन्हें पछताना पड़ सकता है।
एर्दोगन ने एक सदी पहले हुई जंग की जंग का भी हवाला दिया जिसमें आटोमन साम्राज्य के पतन के बाद तुर्की पर ग्रीस और उसके सहयोगियों ने हमला किया था। इस जंग में तुर्की को जीत हासिल हुई थी। एर्दोगन ने यूरोपीय संघ और नाटो गठबंधन का इस्तेमाल क्षेत्रीय विवादों में करने के लिए भी ग्रीस की आलोचना की। तुर्की भी नाटो गठबंधन का सदस्य है। तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि ग्रीस की सरकार विवादित मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत करे।
'ग्रीस मुस्लिमों का दमन करके कानूनों का उल्लंघन कर रहा'
तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि नाटो या किसी तीसरे देश को शामिल करने या उनके साथ ऐगेआन द्वीप समूह पर अभ्यास करना केवल एक प्रयास है जो उसे विनाशकारी अंत की ओर ले जाएगा। एर्दोगान ने यह भी आरोप लगाया कि ग्रीस अपने मुस्लिमों का दमन करके यूरोपीय संघ के मूल्यों और कानूनों का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि ग्रीस पश्चिमी थ्रासे, रोडेस और कोस इलाके में मौजूद तुर्की मूल के अल्पसंख्यकों का दमन कर रहा है।
उधर, ग्रीस की मीडिया ने खुलासा किया है कि एर्दोगन चुनाव में उतरने जा रहे हैं और इसी वजह से वह राष्ट्रवाद की भावना को भड़काने के लिए ग्रीस के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। ग्रीस की न्यूज वेबसाइट डिरेक्टस के मुताबिक एर्दोगन अगले साल चुनाव में उतरने जा रहे हैं। तुर्की इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ओपिनियन पोल में एर्दोगन की लोकप्रियता बहुत तेजी से गिर रही है। ऐसे में वह अब ग्रीस के खिलाफ जंग जैसी धमकी देकर वोटरों को अपनी तरफ लाना चाहते हैं।
इमामों की मदद से चुनाव जीतन की तैयारी में एर्दोगान
यही नहीं एर्दोगन अब इमामों की मदद से तुर्की के बाहर रह रहे लोगों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे उन्हें वोट दें। एर्दोगन ने इस बात की पुष्टि की है कि वह जून 2023 में होने वाले चुनाव में फिर से उतरेंगे। तुर्की का मानना है कि ऐगेआन द्वीप को ग्रीस को 1923 की संधि के तहत दिया गया था और साल 1947 में हुई पेरिस संधि के तहत शर्त रखी गई थी कि इस द्वीप का सैन्यीकरण नहीं किया जाएगा। तुर्की का आरोप है कि ग्रीस इस द्वीप पर सेना और हथियार तैनात कर चुका है।
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