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यही वजह है कि जब भी साइप्रस की बात आती है, तुर्की को मिर्ची लगने लगती है.
पाकिस्तान (Pakistan) के दोस्त तुर्की (Turkey) को संयुक्त राष्ट्र में (UN) कश्मीर का मुद्दा उठाना बहुत भारी पड़ा. भारत ने तुर्की की कमजोर नस दबाते हुए ऐसी लताड़ लगाई कि भविष्य में कश्मीर राग अलापने से पहले सौ बार सोचेगा. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Turkish President Recep Tayyip Erdogan) ने UN के 76वें सत्र के दौरान कश्मीर (Kashmir) की बात छेड़ी. उन्होंने पाकिस्तानी जुबान बोलते हुए यह दर्शाने का प्रयास किया कि संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे का हल निकाला जाना चाहिए. इसके कुछ ही देर बाद जब भारत ने बोलना शुरू किया, तो एर्दोगन के चेहरे का रंग उड़ गया.
Jaishankar ने दबाई कमजोर नस
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, UN में भाषण देते समय तुर्की (Turkey) के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने कहा कि कश्मीर मुद्दा 74 सालों से जारी है. हमारा मानना है कि दोनों पक्षों को संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर इसे हल कर लेना चाहिए'. इसके बाद जब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) के बोलने की बारी आई, तो उन्होंने साइप्रस का मुद्दा उठा दिया. बता दें कि तुर्की कई दशक से साइप्रस के एक बड़े हिस्से पर कब्जा जमाए हुए है. इस मुद्दे पर UN प्रस्ताव पारित कर चुका है, जिसे तुर्की नहीं मानता.
UN के प्रस्ताव का दिया हवाला
जयशंकर ने कहा कि साइप्रस को लेकर UN में जो प्रस्ताव पारित हुआ है, उसका पालन किया जाना चाहिए. इतना ही नहीं, भारतीय विदेश मंत्री ने तुर्की के होश ठिकाने लगाने के लिए साइप्रस के विदेश मंत्री निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स (Nikos Christodoulides) के साथ द्विपक्षीय बैठक की. उन्होंने इस मुलाकात की फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर की. जयशंकर ने लिखा कि दोनों देश अपसी संबंध मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं.
क्या है Turkey- Cyprus विवाद?
साइप्रस, तुर्की के दक्षिण में स्थित एक द्वीप है. यहां ग्रीक के अलावा तुर्की नस्ल के लोग भी रहते हैं. दोनों के बीच लंबे समय से विवाद है. 1974 में तुर्की ने साइप्रस पर आक्रमण कर दिया और प्रसिद्ध शहर वरोशा पर कब्जा कर लिया था. तुर्की के 35 हजार सैनिक इस क्षेत्र पर तैनात हैं. इस घटना के बाद से साइप्रस 2 हिस्सों में बंटा हुआ है. तुर्की नस्ल के लोगों ने अपने क्षेत्र को एक अलग देश घोषित कर दिया है. हालांकि इसे केवल तुर्की ने मान्यता दी है. जबकि, ग्रीक नस्ल वाले साइप्रस को UN सहित पूरी दुनिया स्वीकार करती है. यही वजह है कि जब भी साइप्रस की बात आती है, तुर्की को मिर्ची लगने लगती है.
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