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टीटीपी पिछले कई सालों से पाकिस्‍तान को निशाना बनाने में लगा, जानिए बौखलाहट की असली वजह

Rounak Dey
4 Dec 2022 8:07 AM GMT
टीटीपी पिछले कई सालों से पाकिस्‍तान को निशाना बनाने में लगा, जानिए बौखलाहट की असली वजह
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साथ ही अब वह कबायली क्षेत्रों के अलावा दूसरे हिस्‍सों को भी निशाना बनाने में लग गया है।
रावलपिंडी: पाकिस्‍तान सेना के नए मुखिया जनरल आसिम मुनीर शनिवार को गिलगित-बाल्टिस्‍तान और पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर (पीओके) के दौरे पर थे। यहां पर जनरल ने भारत को धमकी दी और कहा कि पाकिस्‍तान दुश्‍मन का सामना करने के लिए हमेशा तैयार है। सेना प्रमुख ने यह बात भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय सेना के नॉर्दन आर्मी कमांडर ले. जनरल उपेंद्र द्विवेदी के हालिया बयान के जवाब में कही है। राजनाथ सिंह ने अक्‍टूबर में कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्‍तान भारत का हिस्‍सा है। उन्‍होंने कहा था कि भारत ने जम्‍मू कश्‍मीर से अगस्‍त 2019 में आर्टिकल 370 हटाकर इसे अपनी सीमा में मिलाने की शुरुआत कर दी है। इसके अलावा ले.जनरल द्विवेदी ने पीओके को भारत में मिलाने पर बयान दिया था कि सेना, सरकार के हर आदेश को पूरा करने के लिए तैयार है।
TTP है सबसे बड़ा खतरा
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्‍तान आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर का नया बयान सिर्फ असल मुद्दों से ध्‍यान भटकाने के लिए है। पाकिस्‍तान के लिए खतरा भारत नहीं बल्कि तहरीक-ए-तालिबान (TTP) है। हाल ही में टीटीपी ने पाकिस्‍तान की सरकार के साथ हुए युद्धविराम को खत्‍म करने का ऐलान कर दिया है। यह युद्धविराम समझौता इस साल जून में हुआ था। 29 नवंबर को जब जनरल मुनीर कमान संभालने की तैयारी कर रहे थे, उससे ठीक एक दिन पहले ही टीटीपी ने अनिश्चितकाल के लिए युद्धविराम को खत्‍म कर दिया। साथ ही उसने आतंकियों के देशभर में हमले करने का फरमान जारी कर दिया। संगठन की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि मुजाहिद्दीनों के खिलाफ पूरे देश में सैन्‍य अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में उसके आतंकियों के लिए यह जरूर हो गया है कि जहां कहीं भी वह हमले कर सकते हैं, करते रहें।
टीटीपी ने हमले किए तेज
टीटीपी पिछले एक दशक से भी ज्‍यादा समय से पाकिस्‍तान को निशाना बनाने में लगा हुआ है। इस संगठन की मांग है कि देश में इस्‍लामिक कानून लागू किया जाए। साथ ही वह सरकार पर अपने कई बड़े आतंकियों की रिहाई के लिए भी दबाव डाल रहा है। टीटीपी यह भी चाहता है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के साथ पाकिस्तान के कबायली क्षेत्रों के विलय के फैसले को पलट दिया जाए। 16 नवंबर को ही टीटीपी ने लक्‍की मरवात जो पेशावरी से 200 किलोमीटर दूर है, वहां पर पुलिस चौकी को निशाना बनाया है। इस हमले में पुलिस के छह जवान मारे गए थे। अमेरिका स्थित पीस इंस्‍टीट्यूट में सुरक्षा विशेषज्ञ असफयंदर मीर की मानें तो टीटीपी ने हाल ही में आतंकी हमले तेज कर दिए हैं। साथ ही अब वह कबायली क्षेत्रों के अलावा दूसरे हिस्‍सों को भी निशाना बनाने में लग गया है।
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