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इमरान के देश को बम धमाकों से लगातार दहला रहा TTP, बढ़ा अफगान-पाकिस्तान सीमा पर तनाव

Gulabi
9 Feb 2022 4:36 PM GMT
इमरान के देश को बम धमाकों से लगातार दहला रहा TTP, बढ़ा अफगान-पाकिस्तान सीमा पर तनाव
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डूरंड लाइन के नाम से जानी जाने वाली अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच की सीमा को लेकर तनाव बढ़ गया है
डूरंड लाइन के नाम से जानी जाने वाली अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच की सीमा (Afghanistan-Pakistan Border) को लेकर तनाव बढ़ गया है. इस सीमा को अफगान तालिबान मान्यता नहीं देता है. यही वजह है कि जब से अफगानिस्तान में तालिबान का शासन लौटा है, तभी से पाकिस्तानी सैनिकों पर हमले बढ़ गए हैं. रविवार को खुर्रम जिले में एक उत्तर-पश्चिमी सीमा चौकी पर पांच पाकिस्तानी सैनिक (Pakistani Soldiers) मारे गए. इन्हें अफगानिस्तान (Afghanistan) की जमीन पर रहने वाले चरमपंथियों ने मौत के घाट उतारा है. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान तालिबान यानी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने ली है. इसे पाकिस्तान का लोकल तालिबान भी कहा जाता है.
तालिबान सरकार और पाकिस्तान सरकार ने इस समस्या के निदान के लिए सीजफायर समझौता किया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mahmood Qureshi) ने कहा कि इस्लामाबाद ने अफगान तालिबान नेतृत्व से कहा है कि वह चरमपंथियों को नियंत्रित करने के लिए टीटीपी के आतंकवादियों को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता के तौर पर देखता है. उन्होंने कहा, 'अगर तालिबान पाकिस्तान की चिंता पर ध्यान नहीं देता है, तो उनपर कौन विश्वास करेगा. कौन उनके उस दावे पर विश्वास करेगा, जिसमें उन्होंने अल-कायदा और ऐसे ही दूसरे समूहों के साथ रिश्ते खत्म करने का वादा किया है.'
पुरानी सरकार के समय भी झड़प हुईं
इससे पहले पाकिस्तान का अफगानिस्तान की पश्चिम समर्थिक सरकार के साथ भी सीमा को लेकर विवाद होता रहा है. अफगानिस्तान ने कभी भी इस सीमा को आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया है. जिसके चलते दोनों देश के सैनिकों के बीच हुई झड़प में कई की मौत हो गई है. जब अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान का कब्जा हुआ, तो पाकिस्तान में भी उसकी जीत का जश्न मनाया गया. यहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, सेना के सेवानिवृत अधिकारी और आम नागरिक तालिबान की सत्ता में वापसी से काफी खुश थे.
पाकिस्तान ने सोचा था फायदा होगा
तालिबान की सत्ता में वापसी से पाकिस्तान को क्षेत्र पर अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिल गया. उसे लगा कि अब वह तालिबान को अपनी उंगलियों पर नचा सकता है और उसका भारत के खिलाफ इस्तेमाल भी कर सकता है. हालांकि एक सच ये भी है कि अफगान तालिबान नांगरहार प्रांत में टीटीपी की पैंठ कमजोर नहीं कर सका है. पाकिस्तान ने सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों और तस्करी को रोकने के लिए साल 2014 में सीमा पर बाड़ लगानी शुरू की थी. उसने कहा कि वह 90 फीसदी सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा कर चुका है. लेकिन सीमा के जिस तरफ बाढ़ नहीं लगी और जांच नहीं होती, वहां से चरमपंथियों ने पाकिस्तान में प्रवेश कर घातक हमलों को अंजाम दिया है. तालिबान के लड़ाकों ने कम से कम तीन बार सीमा वाले इलाकों में बाड़ को तोड़ा है और पाकिस्तानी सैनिकों को धमकाया है.
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