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प्रशांत महासागर में सुनामी का खतरा घटा, ज्वालामुखी की राख से राहत कार्य में बाधा

Subhi
17 Jan 2022 12:54 AM GMT
प्रशांत महासागर में सुनामी का खतरा घटा, ज्वालामुखी की राख से राहत कार्य में बाधा
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रविवार को द्वीपीय देश टोंगा के पास समुद्र के अंदर हुए भीषण ज्वालामुखी विस्फोट के चलते बना सुनामी का खतरा अब कम हो रहा है। लेकिन, टोंगा के ऊपर ज्वालामुखी की राख के घने बादल छाए हुए हैं

रविवार को द्वीपीय देश टोंगा के पास समुद्र के अंदर हुए भीषण ज्वालामुखी विस्फोट के चलते बना सुनामी का खतरा अब कम हो रहा है। लेकिन, टोंगा के ऊपर ज्वालामुखी की राख के घने बादल छाए हुए हैं जिसके चलते न्यूजीलैंड से निगरानी उड़ानों के संचालन और नुकसान का आकलन करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार यह ज्वालामुखी विस्फोट बहुत विशाल स्तर का था। इसके चलते अलास्का तक सोनिक बूम सुनाई दिया था।

इस विस्फोट के चलते टोंगा के तट से सुनामी लहरें टकराईं और लोग ऊंची जमीन की ओर भागते नजर आए। इसके चलते टोंगा में इंटरनेट सेवा भी बाधित हो गई, जिससे लोगों को और अधिक समस्या का सामना करना पड़ा। यहां तक कि सरकारी वेबसाइटों पर भी रविवार की दोपहर तक कोई अपडेट देखने को नहीं मिला। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने कहा है कि अभी तक टोंगा में किसी की मृत्यु होने या घायल होने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है।

कुछ तटीय इलाकों और छोटे द्वीपों से अब तक नहीं हो पाया संपर्क

लेकिन, उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों का अभी तक कुछ तटीय इलाकों और छोटे द्वीपों से संपर्क नहीं हो पाया है। आर्डर्न ने कहा, टोंगा के तटीय इलाकों में स्थित दुकानों और नावों को भारी नुकसान हुआ है। यहां की राजधानी नाकुआलोफा ज्वालामुखी की राख की घनी चादर से ढक गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसी विषम परिस्थितियों में इस देश में लोगों के लिए जल आपूर्ति को सुरक्षित बनाए रखना और ताजा पीने का पानी उपलब्ध करावाना एक बहुत बड़ी जरूरत है।

5.8 तीव्रता वाले भूकंप के बराबर था ज्वालामुखी में हुआ विस्फोट

इस विस्फोट के बाद टोंगा के आस-पास के द्वीपीय देशों के अलावा जापान, अलास्का और अमेरिका के प्रशांत तट के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की गई थी। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार इस ज्वालामुखी विस्फोट की तीव्रता एक 5.8 तीव्रता वाले भूकंप के बराबर थी। हालांकि, अब सुनामी का खतरा टल रहा है और अधिकतर स्थानों से चेतावनी को वापस ले लिया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप के स्थान पर ज्वालामुखी से सुनामी उत्पन्न होना काफी दुर्लभ घटना है।


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