न पर हमले के बाद वहां कि स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के संघर्ष की शुरुआत से ही भारत शांति, संवाद और कूटनीति के पक्ष में रहा है। हम मानते हैं कि खून बहाकर और निर्दोष जीवन की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब निर्दोष मानवों का जीवन दांव पर हो, तो कूटनीति को ही एकमात्र विकल्प के रूप में प्रबल होना चाहिए।
यूएनएससी में भारत के स्थायी राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि किसी भी सशस्त्र संघर्ष या सैन्य टकराव में महिलाएं और बच्चे हमेशा सबसे अधिक पीड़ित होते हैं। यूक्रेन से आने वाली रिपोर्टों से पता चलता है कि इस युद्ध से महिलाओं और बच्चे अनुपातहीन रूप से प्रभावित हुए हैं। शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापितों के समूह का बड़ा हिस्सा महिलाओं और बच्चे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि 4.4 मिलियन से अधिक लोग यूक्रेन छोड़कर पड़ोसी देशों में चले चले गए हैं, जबकि अन्य 7.1 मिलियन लोग यूक्रेन के अंदर विस्थापितों का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दोनों देशों के युद्ध के बाद पैदा हुई इस स्थिति ने भारतीय छात्रों सहित विदेशी छात्रों को भी प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान भारत ने 22,500 से ज्यादा भारतीय नागरिकों की सुरक्षित देश वापसी कराई। इनमें से अधिकांश भारतीय नागरिक यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे छात्र थे।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि हम अपने छात्रों की शिक्षा पर इस युद्ध के पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए विकल्प तलाश रहे हैं। हम मेडिकल छात्रों के संबंध में इस शैक्षणिक वर्ष के लिए यूक्रेनी सरकार द्वारा दी गई छूट की सराहना करते हैं।