विश्व
जनजातीय हिंसा की वजह से सूडान के दारफुर में 100 लोगों की मौत, 20 से अधिक गांवों में लगी भीषण आग
Renuka Sahu
14 Jun 2022 1:04 AM GMT
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फाइल फोटो
सूडान के युद्ध प्रभावित दारफुर प्रांत में पिछले सप्ताह जातीय संघर्ष की वजह से करीब 100 लोगों की मौत हो गई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूडान के युद्ध प्रभावित दारफुर प्रांत में पिछले सप्ताह जातीय संघर्ष की वजह से करीब 100 लोगों की मौत हो गई है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और एक आदिवासी बुजुर्ग (समुदाय के नेता) ने दी है। यूएनएचसीआर (UNHCR) के समन्वयक टोबी हारवर्ड ने कहा कि पश्चिमी दारफुर प्रांत के कुलबस शहर में अरब और अफ्रीकी जनजातियों के बीच जमीन विवाद की वजह से लड़ाई हुई। टोबी हारवर्ड ने आगे कहा कि इसी बीच अरब मिलिशिया ने तब इलाके के कई गांवों पर हमला शुरू कर दिया जिसकी वजह से हजारों लोगों को पलायन करना पड़ा।
62 जले हुए शव बरामद हुए
शहर के आदिवासी नेता अबकर अल-तौम ने इस मामले पर ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि मिलिशिया द्वारा 20 से अधिक गांवों में आग लगाने के बाद 62 जले हुए शव बरामद हुए हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी कई लोगों का कोई पता नहीं चल पाया है। अबकर अल-तौम ने दावा किया कि हमलावरों ने जल संसाधनों पर नियंत्रण हासिल कर लिया है, जिससे इलाके में मानवीय स्थिति बिगड़ चुकी है।
फसलों की सिंचाई पर पड़ेगा हिंसा का असर:टोबी हारवर्ड
टोबी हारवर्ड ने बताया कि क्षेत्र में नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 'तटस्थ संयुक्त बलों' का आह्वान भी किया है। हारवर्ड ने ट्विटर पर पोस्ट की एक श्रृंखला में कहा, 'अगर कोई हस्तक्षेप या मध्यस्थता नहीं की गई और हिंसा को जारी रखने की अनुमति दी गई है तो फसलों की सिंचाई का मौसम समाप्त हो जाएगा और किसान खेती नहीं कर पाएंगे ।
देश व्यापक संकट में फंस गया है
समाचार आउटलेट रेडियो दबंगा ने बताया कि लड़ाई उत्तरी दारफुर प्रांत तक पहुंच गई, जिससे वहां के दो गांवों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। बता दें कि अक्टूबर में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद देश व्यापक संकट में फंस गया है। इस घटना से पहले अप्रैल में खबर आई थी कि सूडान के पश्चिमी दारफुर क्षेत्र में कबायली अरबियों और गैर अरबियों के बीच हुई झड़पों में मृतकों की संख्या 200 के अधिक हो गई थी।
बता दें कि अल-बशीर, जो 2019 में सत्ता से बेदखल होने के बाद से खार्तूम की जेल में है, उन्हें एक दशक पहले अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा नरसंहार और दारफुर में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।
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