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बल्कि उनके खिलाफ आतंकवाद विरोधी अपराधों ने जातीय आतंकवादियों को जन्म देने में मदद की है.
नाइजर सरकार ने मंगलवार को कहा कि दक्षिण पश्चिमी नाइजर में मोटरसाइकिल सवार हथियारबंद लोगों ने एक साप्ताहिक बाजार से लौट रहे काफिले को रोककर 58 लोगों की हत्या कर दी. साथ ही उनके खाने के भंडार को भी पूरी तरह से आग से जला दिया. हमला तिलाबेरी क्षेत्र में सोमवार को हुआ, जो माली और बुर्किना फासो बॉर्डर के पास है. पीड़ित बड़े पशु बाजार से अपने घर लौट रहे थे.
मंगलवार शाम को सरकारी प्रवक्ता अब्दुर्रहमान जकारिया ने नाइजर राज्य टेलीविजन पर पीड़ितों के लिए तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की. अभी तक किसी भी संगठन ने इस नरसंहार की जिम्मेदारी नहीं ली है. हालांकि इस्लामिक स्टेट से जुड़े चरमपंथी, तिलाबेरी क्षेत्र में सक्रिय होने के लिए जाने जाते हैं.
सोमवार के हुए हमले ने नाइजर के नए राष्ट्रपति मोहम्मद बाजौम (Mohamed Bazoum) के सामने भारी सुरक्षा चुनौतियां पेश कर दी हैं. पिछले महीने फरवरी में ही मोहम्मद बाजौम ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता है. सोमवार के हमले ने जनवरी में हुए उस नरसंहार की याद दिला दी, जिसमें दो गांवों में 100 लोगों की मौत हो गई थी. ये दोनों गांव भी तिलाबेरी क्षेत्र में ही थी. इसे हमले की जिम्मेदारी भी किसी ने नहीं ली.
चरमपंथियों ने तिलाबेरी क्षेत्र में नाइजर की सेना पर बड़े पैमाने पर हमले किए. दिसंबर 2019 में 70 से अधिक और जनवरी 2020 में 89 से अधिक सैनिक मारे गए मारे गए. विश्लेषकों का कहना है कि ना केवल तिलाबेरी क्षेत्र में आर्म्ड ग्रुप्स एक्टिव हैं, बल्कि उनके खिलाफ आतंकवाद विरोधी अपराधों ने जातीय आतंकवादियों को जन्म देने में मदद की है.
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