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चीन के साथ छिड़े व्यापार विवाद से वाइन उद्योग को मुसीबत में डाला ऑस्ट्रेलिया

Deepa Sahu
18 Feb 2021 2:05 PM GMT
चीन के साथ छिड़े व्यापार विवाद से वाइन उद्योग को मुसीबत में डाला ऑस्ट्रेलिया
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चीन के साथ छिड़े व्यापार विवाद से ऑस्ट्रेलिया का वाइन (शराब) उद्योग बेहद परेशानी में है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: चीन के साथ छिड़े व्यापार विवाद से ऑस्ट्रेलिया का वाइन (शराब) उद्योग बेहद परेशानी में है। ताजा मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चीन को निर्यात ना होने के कारण कई शहरों में वाइन की बोतलों को भंडार में रखने की जगह नहीं मिल रही है। वाइन उत्पादन के कारोबार से जुड़े लोग भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैँ। जानकारों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में सैकड़ों लोगों ने चीन के बाजार को ध्यान में रख कर इस कारोबार में भारी निवेश किया था। लेकिन निर्यात ठहर जाने से उनका भविष्य अनिश्चित हो गया है।

बीते दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया से चीन के लिए वाइन का लगभग कोई निर्यात नहीं हुआ। इस कारोबार से जुड़े लोगों के संगठन वाइन ऑस्ट्रेलिया के मुताबिक 2020 में चीन को होने वाले वाइन के निर्यात में 14 फीसदी (यानी 79 करोड़ अमेरिकी डॉलर) की कमी आई। व्यापार संगठनों का कहना है कि चीन से बिगड़े रिश्तों का असर सिर्फ वाइन उद्योग पर नहीं पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया से होने वाले कई वस्तुओं के निर्यात का भी यही हाल है। इनमें बीफ और टिंबर शामिल हैं। चीन ने ऑस्ट्रेलिया से होने वाले आयात के रास्ते में कई रुकावटें खड़ी कर दी हैं। जानकारों का कहना है कि निकट भविष्य में स्थिति सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है।

ऑस्ट्रेलिया दुनिया में वाइन का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक है। देश की बरोसा घाटी और हंटर घाटी में बने वाइन की प्रतिष्ठा दुनिया भर में है। वाइन ऑस्ट्रेलिया के मुताबिक वाइन के कारोबार का देश की अर्थव्यवस्था में सालाना योगदान 35 अरब डॉलर तक का रहा है। पिछले नवंबर तक चीन ऑस्ट्रेलियाई वाइन का सबसे बड़ा बाजार था। 2019 में ऑस्ट्रेलिया से जितने वाइन का निर्यात हुआ, उसका एक तिहाई हिस्सा चीन गया था। चीन ने उस वर्ष ऑस्ट्रेलिया से 84 करोड़ डॉलर का वाइन खरीदा था।
तहबिल्क कंपनी ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलिस्ट पुर्ब्रिक ने टीवी चैनल सीएनएन से कहा कि ऑस्ट्रेलिया से वर्षों से चीन में अपने वाइन के कारोबार को विकसित कर रहा था। लेकिन इसमें असल तेजी 2015 में आई, जब ऑस्ट्रेलिया ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर दस्तखत किए। इससे ऑस्ट्रेलियाई वाइन पर चीन में लगने वाले शुल्क में 14 फीसदी की कटौती हो गई। नतीजा हुआ कि जहां 2008 में चीन को सात करोड़ 30 लाख डॉलर के वाइन का निर्यात हुआ था, वहीं ये रकम 2018 में एक अरब डॉलर तक पहुंच गई। वैसे चीन आज भी सबसे ज्यादा वाइन का आयात फ्रांस से करता है। इस मामले में ऑस्ट्रेलिया दूसरे नंबर पर है। चीन में चिली से आने वाली वाइन की भी काफी मांग है।
चीन के हांगझाऊ में वाइन के कारोबार से जुड़े झेंग ली ने सीएनएन से कहा कि ऑस्ट्रेलियाई वाइन की मांग तेजी से इसलिए बढ़ी, क्योंकि यह दूसरी जगह से आने वाले वाइन से बेहतर है और सस्ता भी है। ऑस्ट्रेलियाई वाइन में अल्कोहल की मात्रा ज्यादा होती है, जो चीन के लोगों को पसंद है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई वाइन के लेबल्स को समझना भी चीन के लोगों को आसान लगता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि चीन में ऑस्ट्रेलियाई वाइन की लोकप्रियता बढ़ने के पीछे प्रमुख कारण यह था कि ऑस्ट्रेलिया ने वर्षों तक चीन के मध्य वर्ग के लोगों लक्ष्य करके विज्ञापन अभियान चलाए। लेकिन अब ये सारी कोशिशें व्यर्थ हो गई हैं।

ऑस्ट्रेलिया के कारोबारियों का कहना है कि वे वाइन के नए बाजारों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन चीन जितना बड़ा और आकर्षक बाजार मिलना मुश्किल है। जिन बाजारों पर अब ऑस्ट्रेलियाई कारोबारियों की नजर है, उनमें भारत, कजाखस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। ब्रिटेन और ब्राजील में भी वे संभावनाएं तलाश रहे हैँ। लेकिन फिलहाल उनका कारोबार मुश्किल में है।
चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया का जो विवाद गुजरे महीनों में खड़ा हुआ, उसकी कीमत इस उद्योग को चुकानी पड़ रही है। चीन को शिकायत है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उकसावे पर ऑस्ट्रेलिया सरकार ने चीन विरोधी लामबंदी में जरूरत से ज्यादा उत्साह दिखाया। इसके बाद चीन ने व्यापार के रास्ते में रुकावटें खड़ी कीं। जानकारों का कहना है कि इस तरह चीन ने ऑस्ट्रेलिया को दंडित करने की कोशिश की। इस तरह उसने दूसरे देशों को भी संदेश दिया कि वह अपने बड़े उपभोक्ता बाजार से वंचित कर उन्हें दंडित कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय जानकार इसे अपनी ताकत दिखाने का अनुचित तरीका मानते हैं।


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