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वहीं चीन सीमा पर तो पर्यटकों के लिहाज से कई स्थल हैं, जहां उन्हें लाया जा सकता है। इनमें डेमचोक, देपसांग, गलवन घाटी जैसे सीमावर्ती क्षेत्र शामिल हैं।
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पर्यटन के क्षेत्र में ऊंचाई छूने को बेताब लद्दाख अब पर्यटकों को लुभाने के लिए बार्डर टूरिज्म भी शुरू करेगा। पर्यटन के लिहाज से यह बिल्कुल नया अध्याय है। रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ इस पर अंतिम दौर की चर्चा चल रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल से लद्दाख में आने वाले पर्यटक पाकिस्तान और चीन से जुड़े बार्डर को भी देख सकेंगे।
लद्दाख की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा पर्यटन से जुड़ा है। पर्यटन विकास को गति देने की पहल के तहत ही केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने देशभर के टूर आपरेटरों के साथ लेह में तीन दिन के एक सम्मेलन का उदघाटन किया। वर्चुअल संबोधन में रेड्डी ने कहा कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद केंद्र सरकार ने इसके विकास के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की योजनाएं शुरू की हैं। इसके तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने का काम चल रहा है। इसमें सबसे बड़ा काम श्रीनगर व कारगिल को जोड़ने वाले जोजी-ला टनल का निर्माण है। इसके पूरा z
पर्यटन मंत्रालय ने बार्डर टूरिज्म की यह योजना लद्दाख आने वाले पर्यटकों की रुचि को देखते हुए उठाया है, जो यहां आने पर सीमा देखने के लिए अनुमति मांगते है। हालांकि मौजूदा बंदिशों और चीन के साथ सीमा पर पिछले कुछ समय लगातार तनाव के चलते पर्यटकों को सीमावर्ती क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं थी। लद्दाख पर्यटन विभाग के सचिव महबूब अली खान ने दैनिक जागरण से चर्चा में बताया कि वैसे तो बार्डर से जुड़ी एक-एक इंच जमीन काफी यादों को समेटे हुए है। लेकिन हम सीमा से सटे कुछ ऐसे स्थलों को चिह्नित करने में जुटे हुए हैं, जहां पर्यटकों को आसानी से लाया जा सके। इस दौरान उन्हें बार्डर दिखाने के साथ उस क्षेत्र से जुड़े स्थलों को दिखाया जा सकेगा। फिलहाल बार्डर के जिन क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है, उनमें पाकिस्तान से जुड़े गोकुला, कारगिल, द्रास जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वहीं चीन सीमा पर तो पर्यटकों के लिहाज से कई स्थल हैं, जहां उन्हें लाया जा सकता है। इनमें डेमचोक, देपसांग, गलवन घाटी जैसे सीमावर्ती क्षेत्र शामिल हैं।
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