अफगानिस्तान में विदेशी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान की ताकत बढ़ती जा रही है, जिससे एक बार फिर ये देश 20 साल पुराने दौर में जाता दिख रहा है. एक ऐसा दौर जिसमें सबसे ज्यादा अन्याय महिलाओं के साथ हुआ था (Afghan Women Arms). यही वजह है कि अफगानिस्तान की महिलाओं में इस समय तालिबान को लेकर काफी डर है. वह तालिबान से किसी तरह की अच्छाई की उम्मीद नहीं रख रही हैं. इनका कहना है कि अगर तालिबान का शासन होता है, तब वह ना तो पढ़ाई कर सकेंगी और ना ही नौकरी. इसलिए महिलाएं सामने आकर अफगान नेशनल आर्मी का साथ दे रही हैं.
इन महिलाओं ने देश के भविष्य को बचाने के लिए हथियार उठा लिए हैं (Afghanistan Taliban News Today). महिलाओं का इस तरह आगे आना डर के बीच उम्मीद ही एक किरण जैसा है. सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वारें सामने आई हैं, जिनमें अफगान महिलाएं हाथों में हथियार और देश का झंडा लिए दिखाई दे रही हैं. आरटीए डारी (रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान) ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर महिलाओं की तस्वीरें शेयर की है.
इनका कहना है कि सरकार अकेले तालिबान से नहीं लड़ सकती है, इसलिए वह सेना और सरकार का साथ देने आई हैं. सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरें जोजजान और गौर इलाकों की हैं. महिलाओं ने इसके अलावा राजधानी काबुल, फारयाब, हेरात और अन्य कई शहरों में भी ये प्रदर्शन किए हैं (Afghanistan Women Arms). एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई महिलाएं प्रदर्शन में शामिल तो नहीं हो सकीं लेकिन वह भी सेना का समर्थन कर रही हैं.
सईदा गजनीवाल नामक महिला काबुल में रहती हैं. उनका कहना है कि समय की सबसे बड़ी जरूरत तालिबान के खिलाफ एकजुट होना है. यह एक सकारात्मक कदम है. उन्होंने कहा कि महिलाएं चाहती हैं कि हर कोई अपनी आजादी के लिए और हिंसा के खिलाफ तालिबान के सामने खड़ा हो (Afghanistan Taliban Fight). महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली डॉक्टर शुक्रिया निजामी पंजशीर का कहना है कि सरकार अकेले इन चरमपंथियों का मुकाबला नहीं कर सकती है, ऐसे में लोगों के समर्थन की जरूरत है. वह लोगों के एकजुट होने को अच्छा मानती हैं.