पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम ने गुरुवार को कहा कि राजनीतिक उथल-पुथल के बीच तत्कालीन सरकार ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को मार्च में एक आकर्षक प्रस्ताव दिया था। यह दावा करते हुए इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अंजुम ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर परोक्ष रूप से निशाना साधा। लेफ्टिनेंट जनरल अंजुम ने कहा, ''मुझे पता है कि आप मेरी मौजूदगी से हैरान हैं।''
आपको बता दें कि यह पाकिस्तान के इतिहास में किसी भी आईएसआई प्रमुख द्वारा पहली बार मीडिया से की गई बातचीत है। संवाददाता सम्मेलन तब हुआ है जब केन्या में पत्रकार अरशद शरीफ की हत्या को लेकर देश में कई तरह के आरोप लगाये जा रहे है। सशस्त्र बलों के खिलाफ भी अप्रत्यक्ष आरोप लगाये जा रहे है। शरीफ की रविवार रात केन्या में एक पुलिस चौकी पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिससे देश में कोहराम मच गया। केन्याई पुलिस ने बाद में कहा कि यह एक बच्चे के अपहरण के मामले में इसी तरह की कार की तलाशी के दौरान गलत पहचान का मामला था।
लेफ्टिनेंट जनरल अंजुम ने कहा, ''इस एजेंसी (आईएसआई) के प्रमुख के रूप में, मैं चुप नहीं रह सकता जब उन्हें बिना किसी कारण के निशाना बनाया जाता है।'' उन्होंने कहा, ''जब जरूरत होगी , मैं उन तथ्यों को सामने लाऊंगा।'' उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान के लासबेला इलाके में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए क्वेटा कोर कमांडर समेत अधिकारियों का मजाक उड़ाया गया। उन्होंने कहा कि मार्च में काफी दबाव था लेकिन संस्था और सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने सेना को उसकी संवैधानिक भूमिका तक सीमित रखने का फैसला किया।
पूर्व प्रधानमंत्री खान का नाम लिये बगैर आईएसआई प्रमुख ने कहा, ''मार्च में जनरल बाजवा को उनके कार्यकाल में अनिश्चितकालीन विस्तार के लिए आकर्षक प्रस्ताव दिया गया था। यह मेरे सामने हुआ था। उन्होंने (जनरल बाजवा) इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह चाहते थे कि संस्थान एक विवादास्पद भूमिका से संवैधानिक भूमिका की ओर बढ़े।'' बाजवा को तीन साल का विस्तार मिला था और वह अगले महीने सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
उन्होंने कहा, ''पिछले साल, प्रतिष्ठान ने फैसला किया कि वह खुद को अपनी संवैधानिक भूमिका तक सीमित रखेगा। सेना में गहन चर्चा हुई और हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि देश का लाभ हमें अपनी संवैधानिक भूमिका तक सीमित रखने और राजनीति से बाहर रहने में निहित है।''
आईएसआई प्रमुख ने कहा कि सेना प्रमुख को देशद्रोही कहा गया था और उनके परिवार को भी निशाना बनाया गया था। उन्होंने पूछा, ''यदि आप उन्हें देशद्रोही के रूप में देखते हैं, तो आप उनसे पिछले दरवाजे से क्यों मिलते हैं?'' पूर्व प्रधानमंत्री खान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ''आप रात को उनसे चुपचाप मिलते हैं और अपनी असंवैधानिक इच्छाएं व्यक्त करते हैं लेकिन (सेना प्रमुख) को दिन के उजाले में देशद्रोही कहते हैं। यह आपके शब्दों और आपके कृत्यों के बीच एक बड़ा विरोधाभास है।''
इस बीच खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने आईएसआई प्रमुख के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने वार्ता के दौरान कभी भी कोई असंवैधानिक मांग नहीं की। 'पीटीआई' नेता असद उमर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बंद दरवाजों के पीछे चर्चा किए गए मामले कोई ''गुप्त'' नहीं थे क्योंकि खान ने रैलियों और संवाददाता सम्मेलनों में उन पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा, ''खान के पास सेना और देश दोनों हैं। लेकिन क्या इमरान खान सेना के हर फैसले से सहमत होंगे?'' उन्होंने कहा कि खान को सेना से असहमत होने और उसकी आलोचना करने का भी अधिकार है। उमर ने यह भी कहा कि खान ने कभी ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे सेना कमजोर हो।
पूर्व विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा कि आईएसआई प्रमुख के संवाददाता सम्मेलन में चीजें और उलझ गईं। उन्होंने कहा, ''हमें लगता है कि भानुमती का एक नया पिटारा खोला गया है।'' आईएसआई प्रमुख ने पुष्टि की कि मारे गए पत्रकार शरीफ देश से बाहर होने पर भी सैन्य प्रतिष्ठान के संपर्क में थे लेकिन पाकिस्तान उनकी हत्या को लेकर बनाई गई कहानी को लेकर आश्वस्त नहीं है।