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बीजिंग (आईएएनएस)। 7वीं पेइचिंग अंतर्राष्ट्रीय तिब्बती अध्ययन संगोष्ठी 14 अगस्त को पेइचिंग में उद्घाटित हुई। इस संगोष्ठी का प्रमुख मुद्दा "तिब्बत विज्ञान की समृद्धि और विकास और एक खुला तिब्बत" है।
तीन दिनों में देश और विदेश में 300 से अधिक विशेषज्ञ और विद्वान आर्थिक विकास और ग्रामीण पुनरुद्धार, शिक्षा, तिब्बती बौद्ध धर्म, तिब्बती साहित्य, सामाजिक परिवर्तन, संस्कृत और अन्य 20 विषय समूहों पर आदान-प्रदान और चर्चा करेंगे, जो तिब्बती विज्ञान अनुसंधान की भविष्य की दिशा को प्रदर्शित करेंगे।
संगोष्ठी के भाषण सत्र में सात विशेषज्ञों और विद्वानों ने राजनीति, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और धर्म जैसे कई दृष्टिकोणों से मुख्य भाषण दिए, अकादमिक अनुसंधान परिणामों को साझा किया और आदान-प्रदान किया, और तिब्बती विज्ञान के विकास के नियम पर विचार-विमर्श किया।
संगोष्ठी में भाग लेने वाले विशेषज्ञों और विद्वानों ने कहा कि तिब्बती संस्कृति चीनी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद से अब तक के 70 से अधिक वर्षों में तिब्बती संस्कृति को अभूतपूर्व संरक्षण और विरासत मिली है। तिब्बती संस्कृति के मूल्य और अद्वितीय आकर्षण को दुनिया में अधिक से अधिक लोगों द्वारा पहचाना और महसूस किया जा रहा है।
उनका मानना है कि तिब्बती अध्ययन का उद्देश्य हमेशा तिब्बत की समृद्धि को बढ़ावा देना और तिब्बत में विभिन्न जातियों के लोगों के जीवन स्तर में सुधार होना चाहिए, और हमेशा मानव जाति के साझा भाग्य समुदाय के निर्माण में योगदान देना चाहिए।
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