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एजेंसी: आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की समिति ने चीनी सरकार के अंतर्गत तिब्बत के लोगों के मानवाधिकार से जुड़ी कई समस्याओं को रेखांकित किया है। जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गंभीर और तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
इनमें तिब्बती संस्कृति और धर्म पर गंभीर हमला, खानाबदोश समुदायों का जबरन पुनर्वास, तिब्बती संस्कृति का शोषण और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा संचालित बोर्डिंग स्कूलों के माध्यम से तिब्बती बच्चों को बहकाने जैसे मामले शामिल हैं। विश्व भर में मानव स्वतंत्रता पर नजर रखने वाले फ्रीडम हाउस की नौ मार्च को जारी फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2023 रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी।
इसमें तिब्बत को दक्षिणी सूडान और सीरिया के साथ विश्व में सबसे कम स्वतंत्रता वाला देश बताया गया है। इस संस्था की ओर से राजनीतिक अधिकार और नागरिक स्वतंत्रता को पैमाना बनाया गया है। रिपोर्ट में राजनीतिक अधिकार के मामले में तिब्बत को 40 में माइनस दो अंक दिए गए हैं, जबकि नागरिक स्वतंत्रता को लेकर 60 में तीन अंक दिए गए हैं। वहीं, कुल 100 स्कोर में तिब्बत को केवल एक अंक मिला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बत में रहने वाले चीनी और तिब्बती दोनों के पास बुनियादी अधिकारों का अभाव है। लेकिन, धार्मिक विश्वासों और सांस्कृतिक पहचान सहित तिब्बतियों के असंतोष को दबाने के लिए चीनी अधिकारी विशेष रूप से कठोर हैं।
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Teja
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