जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दक्षिणी बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में आपराधिक हथियारबंद समूहों के बीच हुए गैंग वार ने हजारों लोगों को भागने पर मजबूर कर दिया है. इसमें कम से कम आठ लोग मारे गए हैं. पुलिस और मानवतावादी कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी.
अधिकारियों ने गोलाबारी, आगजनी और अपहरण की घटनाओं के बाद 12 लोगों को गिरफ्तार किया है. वर्चस्व की लड़ाई के चलते इन गुटों में ये झड़प देखने को मिली. जहां यह घटना हुई है वो दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है जहां एक लाख से अधिक लोग रहते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक कॉक्स बाजार के पास शहर में तैनात अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रफीकुल इस्लाम ने फोन पर बताया कि कि वहां तनावपूर्ण स्थिति कायम है. उन्होंने बताया कि दो गुट वर्चस्व के लिए लड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि वे मानव तस्करी और ड्रग्स तस्करी में संलिप्त हो सकते हैं. यह इलाका ड्रग्स की तस्करी के लिए जाना जाता है जो म्यांमार से लगा हुआ है.
मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं में 2018 से लेकर अब तक कम से कम 100 से ज्यादा रोहिंग्या लोग मारे जा चुके हैं. मानवाधिकार समूहों ने इन घटनाओं के पीछे एक्सट्रा ज्यूडिशियल किलिंग का भी आरोप लगाया है. लेकिन पुलिस का कहना है कि संदिग्ध ड्रग्स तस्करों से एनकाउंटर के दौरान क्रॉस फायरिंग की चपेट में आने से ऐसे लोगों की मौत हुई है.
नाम न बताने की शर्त पर तीन शरणार्थियों ने बताया कि इस गोलीबारी के पीछे दो कुख्यात स्थानीय गुट हैं जो ड्रग्स की तस्करी में भी शामिल हैं. एक गुट का नाम है 'मुन्ना' गैंग जबकि दूसरा अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) है. इसमें एक सशस्त्र समूह है जिसकी इस कैम्प में मौजूदगी है. शरणार्थियों ने अपहरण और हमलों को अंजाम देने का आरोप लगाया है.
वहीं अतिरिक्त शरणार्थी राहत और प्रत्यावर्तन आयुक्त मोहम्मद शम्सु डौज़ा ने बताया कि हिंसा की वजह से लगभग 2,000 रोहिंग्या परिवार विस्थापित हो गए थे, हालांकि गुरुवार तक कुछ लोग वापस लौट आए थे.